Wednesday, January 12, 2011
स्वामी विवेकानन्द आध्यात्मिक व्यक्तित्व ही नहीं एक अंग्रेजी कवि भी
स्वामी विवेकानन्द आध्यात्मिक व्यक्तित्व ही नहीं एक अंग्रेजी कवि भी
m_DR RADHIKA PHOTO & BOOK FRONT PAPER
स्वामी विवेकानन्द जयंती (१२ जनवरी) अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर विशेष
शोधकर्त्री डॉ. राधिका नागरथ ने किया अपने शोधग्रंथ में खुलासा
हरिद्वार ११ जनवरी। स्वामी विवेकानन्द को पूरी दुनियां में एक महान आध्यात्मिक महापुरुष के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने सबसे पहले यूरोपीय देशों में अपनी आध्यात्मिक शक्ति व विद्वता का डंका बजाया और अमेरिका के प्रसिद्ध शहर शिकागों में उनका दिया गया भाषण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया और यूरोपीय देशों ने पहली बार भारत की आध्यात्मिक शक्ति तथा आध्यात्मिक बौद्धिक भंडार को जाना पहचाना। जिसका श्रेय पूरी तरह स्वामी विवेकानन्द को जाता है।
सिद्धयोगी स्वामी रामकृष्ण परमहंस के परम शिष्य नरेन्द्र यानि स्वामी विवेकानन्द को पूरी दुनियां में आध्यात्मिक शक्तिपुंज, एक महान दार्शनिक, कुशल वक्ता और एक महात्मा के रूप में ही जानती है। परन्तु लम्बे शोध एवं अध्ययन के बाद स्वामी विवेकानन्द का महान व्यक्तित्व ”अंग्रेजी कवि“ के रूप में पूरी दुनियां के सामने आया है। पूरी दुनियां विवेकानंद को आध्यात्मिक पुरुष के रूप में तो जानती है, परन्तु एक कवि के रूप में पहली बार पूरी दुनियां स्वामी विवेकानन्द को एक ’कवि हृदय‘ के तौर पर जानेगी। स्वामी विवेकानन्द की १५०वीं जयन्ती दो साल बाद १२ जनवरी २०१३ में पूरी दुनियां में मनाई जाएगी। ऐसे में स्वामी विवेकानन्द के बारे में प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखिका तथा शोधकर्त्री डॉ. राधिका नागरथ का ”स्वामी विवेकानन्द एक कवि“ शोधकार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है। तीन सालों की कडी मेहनत के बाद शोधकार्य करने वाली डॉ. राधिका नागरथ के शोधकार्य ने पूरे विश्व पटल पर हलचल मचा कर रख दी।
डॉ. राधिका नागरथ द्वारा लिखित पुस्तक ”स्वामी विवेकानन्द द नोन फिलोस्फर द अननोन पोयट“ आज चर्चाओं में है। यह पुस्तक २४४ पन्नों की है।
इस चर्चित पुस्तक में लेखिका डॉ. राधिका नागरथ ने बताया है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में जूझते व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक बीमारियों का समाधान स्वामी विवेकानन्द की आध्यात्मिक कविताओं के माध्यम से किस तरह किया गया है। यह पुस्तक अपने आप में एक अलग किस्म की पुस्तक है क्योंकि आज तक पूरी दुनियां स्वामी विवेकानन्द को आध्यात्मिक पुरुष मानती रही है। कवि के रूप में उनका व्यक्तित्व उजागर नहीं हुआ है। जब कि उनकी कविताएं अपने आप में एक ”आध्यात्मिक ग्रन्थ“ है। अंग्रेजी में लिखी इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद पाठकों के पास जल्द ही आने वाला है। डॉ. राधिका बताती हैं कि इस पुस्तक के हिन्दी अनुवाद होने पर स्वामी विवेकानन्द की प्रतिभा और उनका संदेश कविता के रूप में जन-जन तक जाएगा।
मजेदार बात यह है कि जब डॉ. राधिका ने स्वामी विवेकानन्द के ’कवि रूप‘ के बारे में शोध करना शुरु किया तो उनके शोध प्रस्ताव को विद्वानों व प्रोफेसरों ने गंभीरता से नही लिया, परन्तु जब तीन वर्ष के गहन अध्ययन व शोध के बाद जब डॉ. राधिका नागरथ का शोध ग्रंथ ”स्वामी विवेकानन्द द नोन फिलोस्फर द अननोन पोयट“ सामने आया तो बडे-बडे विद्वानों व प्रोफेसरों ने उनका लोहा माना। “डॉ. राधिका नागरथ ने एक समर्पित लेखिका का परिचय देते हुए अपनी यह चर्चित व महत्वपूर्ण पुस्तक राम कृष्ण मिशन कलकत्ता को भेंट कर दी। डॉ. राधिका इस पुस्तक की कोई रॉयल्टी भी नहीं लेती है। अद्वैत आश्रम कलकत्ता द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक मिशन के सभी संस्थानों, उत्तराखण्ड के करीब सभी पुस्तकालयों तथा अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर की जानी-मानी ’बरकले लाइब्रेरी‘ में उपलब्ध है।
मालूम हो कि वर्ष २०१३ में स्वामी विवेकानन्द की १५०वीं जयन्ती पर श्री रामकृष्ण मिशन मठ द्वारा ४ वर्ष का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। जो इसी वर्ष से शुरु हो जाएगा। इसके तहत रामकृष्ण मिशन देशभर में स्वामी विवेकानन्द का साहित्य स्कूल-कॉलेजों में मुफ्त में बांटा जाएगा।
सुनील दत्त पांडेय
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