भोपाल, इंदौर,बड़वानी जिले में हुए आदिवासी विकास परिषद के सम्मेलन में काग्रेस और भाजपा के नेताओं में अपनी-अपनी पार्टी
और अपनी-अपनी सरकारों को बेहतर बताने का द्वन्दयु्द्ध चल पड़ा । सम्मेलन
में आदिवासियों की बेहतरी से ज्यादा खुद को अच्छा बताने की होड़ लगी रही ।
आदिवासी विकास परिषद का 18 वा अखिल भारतीय आदिवासी
सास्कृतिक एकता महासम्मेलन 14 और 15 जनवरी को बड़वानी के मेरखेड़ी में हुआ
। परिषद के इस महासम्मेलन का उद्देश्य आदिवासियों के सामाजिक उत्थान और
संस्कृति को बचाये रखना था । इसके लिये केन्द्र और प्रदेश सरकार के लगभग
सभी आदिवासी मंत्रियों को बुलाया गया । मगर यहा आदिवासी उत्थान कम,
राजनैतिक उठापटक ज्यादा शुरु हो गई । शनिवार को कार्यक्त्रम में बुलाये गये
जनजाती मामलो के केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने माईक संभालते ही
केन्द्र सरकार को आदिवासियों का सबसे बडा हितैषी बताना शुरु कर दिया ।
भूरिया ने केन्द्र सरकार की आदिवासियों के हित में चलाई जा रही एक दर्जन
योजनाऐं गिना दीं । उन्होने भाजपा द्वारा आदिवासियों को
वनवासी कहने पर एतराज उठाते हुए कहा कि वन में तो जानवर रहते हैं,तो क्या
हम जानवर हैं? भूरिया नें कहा कि कोई भी आपको वनवासी कहे तो समझिये वो आपका अपमान कर रहा है और उसे रोकिये । भूरिया तो कपास के ढेर को चिंगारी दिखा कर चल
दिये और वो आग भड़की आज, जब महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल मंच पर पहुंची और उन्होने शिवराज के राज में आदिवासियों की तरक्की के कसीदे पढ़ना
शुरु कर दिये । शिवराज द्वारा 3 माह पहले निकाली गई वनवासी सम्मान यात्रा
की बढाई करते-करते रंजना बघेल ने जब एक के बाद एक कई बार वनवासी शब्द का
प्रयोग किया तो भीड़ में से चार पाच आदिवासी युवकों ने खडे होकर चिल्लाना शुरु कर दिया । चिल्ला-चिल्लाकर उन्होने कहा कि हमें वनवासी बोल रही
है हम इंसान नहीं हैं क्या । नाराज युवकों को जैसे तैसे आयोजकों ने उनको जाकर शात किया और बैठाया । नाराज रंजना बघेल ने कहा कि कुछ लोग आदिवासियों के सम्मेलन में आकर राजनैतिक रोटिया सेक रहे हैं । बात आदिवासियों की तरक्की की होना चाहिए न कि उन्हें बरगलाने की। हालांकि वे भी भाजपा और उसके मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासियों के लिए किए गए कामों पर ही बोलती रही।
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