असदर अली के सवालों पर गोल-मोल जवाब
अजीज बर्नी की किताब “आरएसएस की साजिश 26 /11″ पर पत्रकार सैयद असदर अली के लेख ‘जनोक्ति’ के साथ -साथ कई सारे ब्लॉग और पोर्टल ने प्रकाशित किये | पाठकों की इस पर बड़ी तीखी प्रतिक्रिया हुई है और लोग सैयद असदर अली के द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब जानना चाहते हैं | जहाँ एक ओर असदर अली ने “जनोक्ति” पर प्रकाशित अपने लेख में उनपर मुंबई हमले के बाद भी तीन दिनों तक पाकिस्तान में होने का आरोप लगाते हुए यह स्पष्टीकरण माँगा कि वो वहां क्या कर रहे थे और किन -किन लोगों से मिले ? अजीज बर्नी साहब ने अपनी पूरी किताब में कभी भी मुंबई हमले में पाकिस्तान का हाथ होने का जिक्र नहीं किया, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई को ना केवल प्रश्न चिन्ह खड़े करता है बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुंबई हमले से खुद को बचाने का हथियार दे रहा है | असदर अली ने हमसे बात-चीत के दौरान ये कहा कि अगर बर्नी साहब सही तथ्यों पर आधारित बात करते हैं तो फ़िर वो इस मुद्दे पर न्यायालय क्यों नहीं गये ? उनकी पूरी किताब “षड़यंत्र के सिद्धांत” पर आधारित और मनगढ़ंत है | असदर अली ने कहा कि अजीज बर्नी “बेनामी ” कमेन्ट के जरिये ब्लोग्स और पोर्टल पर मेरे सवालों का जबाव देने के बजाय मेरे बड़े या छोटे पत्रकार होने का सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं |
इसी सन्दर्भ में जनोक्ति ब्यूरो ने अजीज बर्नी से बात-चीत की | पूरे बात-चीत के दौरान अजीज बर्नी साहब ,असदर अली से समझौते के मूड में नजर आये और सभी सवालों को खूब गोल-गोल घुमाया | पेश है टेलीफोनिक वार्ता के प्रमुख अंश :
जनोक्ति ब्यूरो : – बर्नी साहब , सैयद असदर अली ने अपने लेख में आरोप लगाया है कि आप पाकिस्तान को अपना पक्ष मजबूत करने का मौका दे रहे हैं ?
अजीज बर्नी : मैंने एक पत्रकार के रूप में अपनी बात रखी है और उस पर सरकार को विचार करना है | मैं पाकिस्तान का पक्ष मजबूत नहीं कर रहा हूँ |
जनोक्ति ब्यूरो : – बर्नी साहब , आप पर साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप भी लगाया गया है ?
अजीज बर्नी : ये तो अपने-अपने सोच की बात है | मैं जो कर रहा हूँ मेरे नजरिये से राष्ट्रहित में है |
जनोक्ति ब्यूरो : आपकी किताब शहीदों की शहादत पर सवाल उठाती है ?
अजीज बर्नी : क्या मैंने ये कहा कि ये शहादत नहीं थी ? जान लेने वाला कोई भी हो , हर व्यक्ति जो अपने फर्ज के लिए लड़ता है वो शहीद होता है | मैं ये तो नहीं कहा कि मोहन चन्द्र शर्मा ने आत्महत्या की थी ? मैं तो कहता हूँ कि कसाब मारे तब भी शहादत , इस्माइल मारे तब भी शहादत |
जनोक्ति ब्यूरो : – बर्नी साहब , सबसे महत्वपूर्ण सवाल है आपसे कि आप 26 /11 के बाद तीन दिन तक पाकिस्तान में क्या कर रहे थे ?
अजीज बर्नी : – मेरे साथ 26 /11 के दिन ‘आज़ाद हिंद ‘ के संपादक अहमद शेख मुलियावादी सहित कई और लोग भी वहां कार्यक्रम में मौजूद थे | इतने लोगों में केवल मेरा नाम ले रहे हैं तो मैं क्या करूँ? असदर अली एक अच्छे परिवार से संबंध रखते हैं | वो कह रहे हैं तो कहने दीजिये |
bhopal reporter
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