Monday, January 17, 2011
नेवादा (अमेरिका). भगवान गणेश का मजाक उड़ाए जाने से हिंदुओं में नाराजगी है। मनोरंजन चैनल एनबीसी पर एक नाइट शो में अभिनेता जिम कैरी ने भगवान गणेश का ड्र
नेवादा (अमेरिका). भगवान गणेश का मजाक उड़ाए जाने से हिंदुओं में नाराजगी है। मनोरंजन चैनल एनबीसी पर एक नाइट शो में अभिनेता जिम कैरी ने भगवान गणेश का ड्रामेटिक इफेक्ट से जरिए मजाक उड़ाया है।
यहां हिंदुओं के प्रतिनिधि राजन जेद का कहना है कि भ दुनियाभर के तकरीबन एक अरब हिन्दू भगवान गणेश में आस्था रखते हैं। एक टीवी शो के जरिये पैसे कमाने के लिए भगवान गणेश को इस तरह पेश नहीं किया जाना चाहिए था। इस तरह के भद्दे चित्रण से श्रद्धालुओं की आस्था को धक्का लगा है।
क्या है मामला
जिम कैरी ने गत आठ जनवरी को एनबीसी टीवी चैनल पर एक स्किट "द वार्थ ऑफ गणेश" में यह नकल की। इस शो में तांत्रिक की भूमिका निभा रहे जिम कैरी और ग्रेडी विल्सन की भूमिका निभा रहे केनन थॉमसन ने भगवान गणेश के जरिए ‘सेक्स पॉजिशन’ का प्रदर्शन किया जिसमें इफेक्ट्स के जरिये गणेश की सूंड को सेक्स प्रक्रिया में इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया।
माफी मांगें हॉलीवुड अभिनेता
इस शो के किरदार ग्रेडी ने नई सेक्स तकनीक की खोज के लिए दुनिया भर में भ्रमण किया था। जेद ने इस शो को एनबीसी से तुरंत हटाने और इस पर माफी मांगने को कहा है। उन्होंने कहा कि गोल्डन ग्लोब अवार्ड विजेता कॉमेडियन अभिनेता जिम कैरी और कैनन भी सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
उन्होंने कहा कि हिन्दू हॉलीवुड सहित अन्य मनोरंजन इंडस्ट्री का स्वागत करते हैं लेकिन हिन्दुओं की आस्था का मजाक उड़ाना बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है जिसके पीछे एक महान दर्शन है। यदि हॉलीवुड हिन्दू विचारधारा पर कोई सहायता चाहता है तो हिन्दू शोधार्थियों से सम्पर्क करे।
गौरतलब है कि इससे पहले भी विदेशों में हिंदुओं और सिखों की धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। यहां तक की पश्चिमी देशों में जूते-चप्पलों, टॉयलेट के कमोड, रूमाल, कपड़ों आदि पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल तक किया गया।
हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ की यह घटना कोई नई बात नहीं है। आप इस बेहद संवेदनशील मसले पर क्या कहना चाहते हैं। अपनी बात नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर कर सकते हैं...
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इस तरह की गतिविधिया एक विकृत मानसिकता का द्योतक है. पाश्चात्य सभ्यता (?) में जब खुद के आस्थाओं पर आस्था नहीं है तो ,हम उनसे विश्व के सबसे प्राचीन धर्म पर आस्था रखने की आशा कैसे कर सकते है .
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