Thursday, January 13, 2011
मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरराजवाजा खटखटाया है।
द्रोह के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरराजवाजा खटखटाया है। 58 वर्षीय बिनायक सेन के वकील महेन्द्र दुबे ने रायपुर कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की। उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत के जस्टिस बी. पी. वर्मा ने गत 24 दिसंबर को बिनायक सेन को नक्सलियों का मदद करने का दोषी करार देते हुए राजद्रोह के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सेन के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता पीयूष गुहा एवं नारायण सान्याल को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सेन के वकील महेन्द्र दुबे ने दावा किया है कि निचली अदालत में मामले से जुड़े तथ्यों की गंभीरता से जांच नहीं की गई।
राजद्रोह के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बिनायक सेन के मामले में हाईकोर्ट ने प्रकरण से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा है। जस्टिस टीपी शर्मा, आरएल झंवर की डिवीजन बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की है।
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