.भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मासूम सिपाही ..
Allahabad-Date 7-1-2011
जैसे -जैसे देश में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे है भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाम भी धीरे लाम बंद होते नजर आ रही है | इसी कड़ी में भ्रष्टाचार के खिलाफ इलाहाबद में बारह साल के एक बच्चे ने अनोखे अंदाज में अपनी जंग छेड़ी है | आठवीं क्लास में पढने वाले उत्कर्ष ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया है जिसका पूरा खर्च वह अपनी अपने माँ बाप से मिलाने वाले जेब खर्च से खुद उठाता है और इसे शहर के कई घरों में खुद जाकर मुफ्त में बांटता भी है | बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाला यह बाल पत्रकार अपने अखबार के जरिये पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बच्चों का एक समूह बनाने में जुटा हुआ है |इस नन्हे कलम के सिपाही की मुहिम में इस समय सैकड़ों बच्चे भी जुटाने शुरू हो गएँ हैं |
इलाहबाद के गोविंदपुर मुहल्ले में रहने वाला १२ बरस का यह छात्र आठवी में पढता है-नाम है -उत्कर्ष | अपनी स्टडी टेबिल पर पूरी तन्मयता के साथ जुटा उत्कर्ष यहाँ अपने स्कूल का होम वर्क नहीं कर रहा है बल्कि वह तो अपने अखबार के अगले अंक को पूरा करने के वह लेख लिख रहा है जिसके कारण उसे मोहल्ले के लोग बाल पत्रकार बाल और बाल सम्पादक कहकर बुलाते हैं | उत्कर्ष अपने इस काम की वजह बताता है -देश और समाज में फैला वह भ्रष्टाचार जो घुन की तरह देश को खाए जारहा है |..इलाहबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखनेवाले उत्कर्ष ने अपने साप्ताहिक अखबार का नाम रखा है - जाग्रती ..| उत्कर्ष अपने जेब खर्च से ही इसका खर्चा उठाता है | हर हफ्ते वह जगह जगह से भ्रष्टाचार से जुडी घटनाओं की जानकारी इकट्ठा करता है और फिर उन्हें अपनी मुहीम की भाषा में कागज़ के पन्नों पर खुद अपनी कलम से लिखता है और फिर इन पन्नो को फोटो स्टेट कापी कराने के बाद मुहल्ले में लोगों के घरों में मुफ्त में बाँट आता है |.शहर के बी बी एस कलेज की आठवीं क्लास में पढने वाले उत्कर्ष की इस मुहीम के पीछे मकसद केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ बच्चो के अन्दर एक संस्कार डालना भर नहीं है बल्कि वह इसके लिए उसने एक भष्टाचार निरोधी एक समिती भी बना रखी है जिसे उसने नाम दिया है- विद्यार्थी बाल समिति ..| उत्कर्ष के पिता पेशे से एक अध्यापक है और उन्हें अपने बेटे के इस काम को लेकर कई बार पड़ोसियों से हिदायतें भी मिली की बच्चे को क्यों बर्बाद करने में लगे हैं लेकिन उन्होंने लोगों की एक नहीं सुनी और वह उत्कर्ष का पूरा सहयोग करते है |
महज १२ साल की उम्र के इस नन्हे कलम के सिपाही की कलम के कायल अच्छे अच्छे हो चले हैं | अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देने वाला उत्कर्ष अपनी हर परिक्षा में भी अव्वल रहता है और अखबार लिखने में भी अव्वल है | कभी उत्कर्ष का मजाक उड़ाने वाले उत्कर्ष के पड़ोसी और पत्रकार भी उसके इस जज्बे की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं .पिछले एक साल से अपना साप्ताहिक अखबार निकाल रहा उत्कर्ष बड़ा होकर न तो नौकरशाह बनाना चाहता है और ना ही डाक्टर और इंजीनियर बल्कि उसकी आँखों सपना अपल रहा है एक ऐसे कलम के सिपाही बनने का जिसका सपना कभी खुद नेहरु परिवार की आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने उस समय पाने बचपन में देखा था जब उन्होंने बचपन में गांधी जी शोषण और अन्याय के खिलाफ प्रेरणा लेकर वानर सेना का गठन किया था |
Ashish Rai
Allahabad
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