Friday, January 7, 2011

दिल्ली में महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराधों का ग्राफ लगातार चढ़ता ही जा रहा है।


दिल्ली पुलिस का नया वादा, अब होंगे वुमन फ्रेंडली पुलिस स्टेशन शुक्रवार, जनवरी 7,नई दिल्ली। दिल्ली में महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराधों का ग्राफ लगातार चढ़ता ही जा रहा है। ये भी तब है जब पिछले 15 सालों से दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राज है। खैर इस तरह की वारदातों से साफ जाहिर है कि चाहे महिला हो या पुरुष इस जंग लगी शासन व्यवस्था में कोई भी देश के नागरिकों को भयमुक्त समाज नहीं दे सकता।

दिल्ली पुलिस पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते आखिरकार दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। पुलिस ने महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गश्त लगाने के लिए और अधिक महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती का बात कही है।

पुलिस आयुक्त ने दिल्ली पुलिस के सालाना प्रेस सम्मेलन में कहा "तीन जिलों में तीन महिला उपायुक्त हैं और चार स्थानों पर महिला थाना प्रभारी (एसएचओ) हैं। हम उनकी संख्या और बढाएंगे।" उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों में महिलाओं को अधिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मोरिस नगर थाने का नाम बदलकर नॉर्थ कैम्पस थाना किया जाएगा और दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैम्पस के लिए भी एक पुलिस थाना शुरू किया जाएगा।

इसके अलावा महिला कॉलेजों के बाहर महिला पुलिस अधिकारी वैनों में सवार होकर गश्त लगाएंगी। गुप्ता ने बताया कि सभी थानों में महिलाओं की मदद के लिए एक हेल्पडेस्क होगी जहां महिला अधिकारी ही बैठेंगी। उनके मुताबिक, यात्री बसों में महिलाओं की सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए अधिक महिला अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। खासकर सुबह व शाम ऐसा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि साल 2010 में राजधानी दिल्ली में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाओं में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है।

अब सवाल ये उठता है कि जिस दिल्ली में महिला अधिकारी, पत्रकार, पुलिस से लेकर कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है, वहां कॉलेजों के आस-पास सुरक्षा मुहैया करा कर या मामूली गश्त बढ़ा कर इन अपराधों पर लगाम लगाया जा सकता है।

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