Tuesday, January 4, 2011

न्यू मीडिया बोल बहुत रहा है,कह कुछ नहीं रहा है -राम बहादुर राय


वर्तमान सन्दर्भ में न्यू मीडिया ” विषय पर ‘भारत नीति प्रतिष्ठान‘ के द्वारा आयोजित विमर्श में विशिष्ट अतिथि श्री राम बहादुर राय (वरिष्ठ पत्रकार और चिन्तक ), प्रो. राकेश सिन्हा(निदेशक, आई पी एफ ) ,श्री उदय सिन्हा( वरिष्ठ पत्रकार ) , श्री आशुतोष(स्वतंत्र पत्रकार ) , श्री ज्ञानेंद्र पाण्डेय(पत्रकार ) , श्री ओम्कारेश्वर पाण्डेय(पत्रकार,सन्डे इन्डियन ) , श्री मिलिंद ओंक(न्यू मीडिया के जानकार ) , श्री उमेश चतुर्वेदी(स्तंभकार ) ,श्री हितेंद्र गुप्ता (मैथिलि ब्लोगर ), श्री डी एन श्रीवास्तव(प्रसिद्द आर टी आई एक्टिविस्ट ) , श्री संजय तिवारी (संपादक,विस्फोट.कॉम ),श्री नीरज भूषण(भारत बोलेगा.कॉम ) , श्री भावेश नंदन झा(फ़िल्मकार ) ,श्री अमिताभ भूषण(पत्रकार,दिव्यउर्जा .कॉम) ,श्री दीनबंधु सिंह(पत्रकार ) , श्री जयराम विप्लव (संपादक,जनोक्ति.कॉम ), श्री कनिष्क कश्यप(संपादक विचार्मिमंसा.कॉम और ब्लोगप्रहरी ) , श्री विशाल तिवारी(पत्रकार ,जनोक्ति.कॉम ) , श्री अवनीश सिंह(पत्रकार ),श्री विनय झा(पत्रकार ) , श्री सुन्दरम आनंद (लेखक ,जनोक्ति.कॉम ), श्री आशीष मिश्रा(ब्लोगर और लेखक ,जनोक्ति.कॉम ) , कनुप्रिया(स्त्री विमर्श .कॉम ) और दीपाली पाण्डेय( उप संपादक ,जनोक्ति.कॉम ) समेत कई एक “न्यू मीडिया ” से जुडे और इसमें रूचि रखने वाले पत्रकार शामिल हुए |


कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रो.राकेश सिन्हा ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘न्यू मीडिया ‘ तेजी से अपनी जगह बना रहा है | हमें न्यू मीडिया की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसको आगे बढाने की दिशा में काम करना है | विमर्श का संचालन करते हुए मिलिंद ओंक ने न्यू मीडिया के बारे में संछिप्त जानकारी देते हुए राय साहब को विमर्श को आगे बढाने के लिए कहा |

राय साहब ने अपने संबोधन में विमर्श की भूमिका रखते हुए अनेक महत्वापूर्ण सवाल हमारे सामने रखे |”न्यू मीडिया” के बारे में बोलते हुए राय साहब कहा कि ‘न्यू मीडिया’ एक नया उपभोक्ता वर्ग ‘मिडिल क्लास’ खड़ा कर रहा है | न्यू मीडिया की ताकत ये है कि आज कुछ भी छुपा हुआ नहीं है | न्यू मीडिया को बधाई हो , उसने परंपरा से हटकर सबको संपादक बना दिया | इन्टरनेट पर लेखक से लेकर पाठक तक सभी संपादक हैं | लेकिन न्यू मीडिया के सामने चुनौतियाँ भी काफी बड़ी हैं संस्थागत मीडिया यहाँ भी पैसों के बल पर अपनी पैठ बनाने की कोशिश में है | सन टीवी ग्रुप इंटरनेट पर 2100 करोड़ रुपया निवेश कर रहा है | न्यू मीडिया की अर्थनीति में भी ये बड़े संस्थान हावी हैं | कुल 2500 करोड़ के विज्ञापन में मात्र 600 करोड़ इंटरनेट के हिस्से में आता है और उसमें भी सारा पैसा इण्डिया टाइम्स , सीएनएन जैसे बड़े घरानों के पास ही जा रहा है |
मुख्यधारा की मीडिया की चर्चा में उन्होंने कहा कि यहाँ संस्थागत पहचान बन गयी है | बड़े घरानों में ऐसे -ऐसे लोग बैठे हैं जिनका पत्रकारीय कर्म से कोई खास वास्ता भले ना हो लेकिन मीडिया जगत , मीडिया से जुड़ी राजनीति और कॉर्पोरेट जगत में बोल-बाला है | लेकिन न्यू मीडिया ने उनमें भी एक दहशत पैदा की है , इन्डियन एक्सप्रेस के शेखर गुप्त एक बार मुझसे कहा -’ पहले हम गलतियाँ कर बच जाते थे | अब बचना मुश्किल है और हजारों बार शर्मिंदा होना पड़ेगा | ‘ पत्रकारों की घटती लोकप्रियता को लेकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक जहाँ पहले 10 में से 7लोग पत्रकारों को पसंद करते थे वहीँ अब ये संख्या उलटी हो गयी है | ‘न्यू मीडिया’ को दिशा बताते हुए राय साहब ने कहा कि सच कहो , सीधे कहो और सही वातावरण में कहो | हालाँकि, न्यू मीडिया बोल बहुत रहा है ,कह कुछ नहीं रहा है |




विमर्श को आगे बढाते हुए ज्ञानेंद्र पाण्डेय ने राय साहब से सहमती जताई |


जनोक्ति.कॉम के संपादक जयराम विप्लव ने ‘न्यू मीडिया ‘ के सन्दर्भ में बोलते हुए कहा कि राडिया चक्रवात ने भारतीय मीडिया के बड़े-बड़े तथाकथित प्रकाशपुन्जों को बुझा दिया | सत्ता के वाच डॉग कहे जाने वाले बस डॉग बन कर रह गये हैं ! अचानक फैले इस अन्धकार में , सूरज उगा है , और सबसे बड़ा आश्चर्य कि वो सूरज इस बार पूरब में नहीं पश्चिम में उगा है |




विकिलीक्स …………….. नाम ही काफी है कुछ कने की जरुरत नहीं ………………… फ़िर भी मेरी नज़र में ये एक ज़ज्बा है …………………




” न्यू मीडिया ” जिसे ब्लोगिंग और फेसबुक के तौर पर हम जानते हैं उसका प्रभाव आप सभी को मालूम है | कई एक मुद्दों पर हमारा जोर चला है | सत्ता और मुख्यधारा की मीडिया भी हमारे पीछे आयेगी |ऐसा मुझे लगता है …लेकिन इसकी राह बड़ी कठिन है और चुनौतियाँ बड़ी ………….. न्यू मीडिया जिसे व्यक्तिगत सूचना जानकारी के लिए हमने इस्तेमाल करना शुरू किया था | आज वो माध्यम ओबामा को हिलाए हुए है , लेकिन भारत में न्यू मीडिया की स्थिति कुछ अच्छी नहीं लगती है | सत्ताधीशों और अर्थशक्तियों ने जिस संवेदनहीनता को पैदा करने के लिए वाच डॉग को बस डॉग बना कर छोड़ दिया है ……. उसी के जाल में हम भी फंसे हैं ….या फंसने वाले हैं |एक ब्लोगर सम्मलेन में गया तो वहां आये हुए अधिकांश लोग मुझे थके-थके से लगे जो मुख्यधारा के सताए हुए बस अपनी छपास को पूरा करना कहते थे …………. उनमे से एक ने कहा भी वो इसीलिए लिखते हैंकि ….. ऑफिस में बॉस की गाली खाकर दिमाग ख़राब हो जाता है और एकाध पोस्ट ठेल देने से उनको सुकून मिलता है ……………….. ये जो सुकून लूटने की आदत फ़ैल रही है यही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है !




बावजूद इसके हम कुंठाग्रस्त नहीं है बल्कि हम आत्मविश्वास से लबरेज हैं …………………………. न्यू मीडिया में जिस फ्री स्पेस की बात हम करते हैं उसमें कुछ करने का अवसर हमने हासिल किया है ……………….. तो क्यों नहीं कुछ किया जाए ……… करेंगे ..


ओम्कारेश्वर पाण्डेय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि राय साहब ने इतना कुछ कह दिया है कि मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है | फ़िर भी इतना कहूँगा कि ‘न्यू मीडिया ‘ को आत्म संयम के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए | राष्ट्रीय दृष्टि से विषय आधारित लेखन हो | राय साहब ने बिलकुल सही कहा न्यू मीडिया बोल बहुत रहा है कह कुछ नहीं रहा | दरअसल इतना ज्यादा बोल रहा है कि उससे भी दिक्कत है | कई ऐसी साइट्स भी हैं जिनकी अमर्यादित और गैर-पत्रकारीय कर्म का फल पूरी न्यू मीडिया को भुगतना पड़ सकता है , सरकारी रेगुलेशन के रूप में | बावजूद इसके न्यू मीडिया लोकतंत्र को मजबूत करेगा |


विस्फोट.कॉम के संजय तिवारी जी ने बोलते हुए ‘न्यू मीडिया’ के चार वैश्विक स्तम्भ गूगल ,विकिपीडिया , फेसबुक और विकिलीक्स के बारे में बताते हुए , भारत में ऐसी संस्थाओं को खड़ा करने की मंशा रखने वालों का अभाव बताया | उन्होंने कहा कि भारत में जुलियन असान्जे पैदा नहीं हो सकता क्योंकि न्यू मीडिया के छत्रपों को कोई वित्तीय पोषण के विषय में कोई नहीं सोचता | तिवारी जी ने असान्जे को पत्रकार ना मानते हुए एक हैकर बताया | हालाँकि ये बहस का मुद्दा हो सकता था कि पत्रकार कौन होता है ? या उसकी क्या परिभाषा है ? लेकिन समयाभाव को देखते हुए ऐसी कोई बात नहीं हुई |राय साहब और ओम्कारेश्वर पाण्डेय से कुछ बातों पर अपनी असहमति जताते हुए नीरज भूषण ने कहा कि वो ‘न्यू मीडिया’ शब्द को नहीं मानते | जब रेडिओ आया तो किसी ने उसे न्यू नहीं कहा , जब टेलीविजन आया तो किसी ने उसे न्यू मीडिया नहीं कहा | आज अगर इंटरनेट के बारे में ऐसा कहा जा रहा है तो ये एक भय है | दरअसल यही मीडिया है जिसके माध्यम से आप कोई भी सूचना लोगों तक पहुंचा सकते हैं भले ही पी टी आई और यू एन आई उसे ना छापे ! उन्होंने कहा कि जिस निरंकुशता की बात हो रही है वही इस माध्यम की ताकत है और हम निरंकुश रहना कहते हैं … सरकार ला के तो दिखाए कोई कानून …. आज हमें कलम और तलवार दोनों चाहिए |


डी एन श्रीवास्तव ने एक पंक्ति में अपना सन्देश देते हुए कहा , सच लिखते रहिये सरकार खुद-बखुद जो कानून लाना होगा ले आएगी |


आखिर में बोलते हुए अमिताभ भूषण ने भारतीय ‘न्यू मीडिया’ का स्याह सच उजागर करते हुए बड़े जोरदार तरीके से कहा कि ऐसे लोग जो अपनी ईमानदारी को बेच कर न्यू मीडिया को खड़ा करना चाहते हैं वो इसे छोड़ दें तो बेहतर है | अगर न्यू मीडिया को नये आयाम देना चाहते हैं तो मीडिया के दलालों की नक़ल करना छोड़ कर , अपने बूते कुछ करें या फ़िर अपने लिए आर्थिक मॉडल बनाये ताकि ‘न्यू मीडिया ‘ में अपने प्रयास को बाई -प्रोडक्ट की जगह मेन प्रोडक्ट बना सकें |


कार्यक्रम के शुरुआत में , कनिष्क कश्यप द्वारा पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से ‘न्यू मीडिया’ की आदर्श कही जा सकने वाली पोर्टल्स का परिचय और न्यू मीडिया के सन्दर्भ में ढेर सारी खोजपरक जानकारी दी गयी |


बहरहाल , ‘न्यू मीडिया’ को पारंपरिक मीडिया से हटकर अलग मान्यता देने और इसमें आने वाले भविष्य की पत्रकारिता को देखने का यह पहला व्यवस्थित प्रयास भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा किया गया , जो आने वाले समय में भारतीय न्यू मीडिया की भूमिका को तय करेगा |

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