Sunday, January 9, 2011
अजीज बर्नी के नाम खुला पत्र :
सैयद असदर अलीहाल के दिनों में देश में आतंकवाद पर जिस तरह की सियासत देखी जा रही है यह निहायत हीं शर्म की बात है | ऐसे समय में जबकि भारत आतंकवाद से लड़ रहा है ,इस मुद्दे पर सियासत करना घोर निंदनीय है | जो लोग इस पर सियासत कर रहे हैं ,ऐसा करके वह देश को इस लड़ाई में कमजोर करने के साथ-साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान का समर्थन करने का काम कर रहे हीं , जो पूरी तरह से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को दर्शाता है | विश्व के कई अन्य देशों ने भी भारत में हो रही आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों के शामिल होने की बात को खुले तौर पर ना केवल मान है बल्कि पाकिस्तान की इस बात के लिए कड़े शब्दों में निंदा भी की है कि पाकिस्तान ऐसे आतंकवादियों को खुलकर शह देता है | मुंबई का 26/11 हमला ,अक्षरधाम मन्दिर पर हमला , देश की सांसद पर चोट पहुंचाने के सात-साथ ऐसी अन्य कई वारदातों में यह बात साफ़ हो चुकी है कि इन सभी घटनाओं को नजाम देने वाले बुजदिल लोग पकिस्तान में हीं आतंकवाद की शिक्षा लेने के बाद हमारे देश में अपने नापाक इरादों के साथ आकर इन वारदातों को अंजाम दिया है | इन सभी का ताल्लुक लश्कर-ए-तोयबा, जमात-उद-दावा, इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों से पाया गया है। इन घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकवादी खुद को दुर्भाग्यवश इस्लाम का पैरोकार बताकर धर्म विशेष को बदनाम करने के साथ-साथ हमारे बीच सांप्रदायिकता का बीज भी बो जाते हैं।
लेकिन दुर्भाग्य से दिग्विजय सिंह व अजीज बर्नी जैसे लोग इन जेहादी आतंकवादियों के पक्ष में खड़े दिखकर सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं , बल्कि पाकिस्तान को अपना पक्ष मजबूत करने का मौका दे रहे हैं | इन भटके हुए मुस्लिम युवकों को भी यह बात समझनी चाहिए कि जीवन जीने की जितनी आज़ादी हमारा भारतवर्ष देता है वैसा विश्व में शायद हीं खिन और होता होगा | देश का हित ध्यान में रखते हुए एक सच्चे देशप्रेमी की तरह हमें हर समय देश के सौन्दर्य और सौहाद्र को बरकरार रखना चाहिए |
देश के सामने आज आतंकवाद सबसे कठिन समस्या बन चुकी है जिसे पड़ोसी देश में बैठे आतंक के आकाओं के इशारों पर अंजाम दिया जाता है। ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर वे सिर्फ इमारतों पर हमला नहीं करते बल्कि हमारे दिलों पर चोट पहुंचाते हैं। यह तो हमारा आत्मविश्वास है कि हम घटनाओं के दूसरे ही पल फिर से खड़े होकर उनके चेहरों पर तमाचा मारते हैं।
भारत पर जब भी कोई आतंकवादी हमला होता है, देश के बहादुर सैनिक और सुरक्षाबल डट कर उसका मुकाबला करते हैं और अंततः इन कायर आतंकवादियों को मौत के घाट उतार कर ही दम लेते हैं। इस दौरान हमारे बहादुर जवान हमारी रक्षा करने के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं करते और शहीद हो जाते हैं, लेकिन हम लोगों की जान बचा लेते हैं। मुंबई का 26/11 हमला हो या दिल्ली का बटला हाउस मुठभेड़, हर जगह पर हमारे बहादुर जवानों ने अपनी जान देकर भी हमारी जान की रक्षा की है। पूरा देश इन सभी बहादुरों को सलाम करता है। परन्तु हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हमारे जवानों की शहादत पर भी सवाल उठाने से नहीं कतराते, क्योंकि ऐसा करके उन्हें घटिया प्रचार जो लेना होता है ।
ऐसे हीं लोगों में एक संपादक अजीज बर्नी भी शामिल हैं | अपनी लेखनी से वह देश में पूरी तरह साम्प्रदायिकता फैलाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं | शायद यह सब करके बर्नी देश के मुसलमानों का नेतृत्वा करने का सपना संजोये बैठे हैं | रंतु शायद इन्हें नहीं मालूम कि देश का मुसलमान बहुत ही समझदार एवं सामाजिक और राजनीतिक तौर पर पूरी तरह जागरूक हो चुका है और वह इस बात को भलीभांति जानता है कि बर्नी की मंशा क्या है? अजीज बर्नी अपनी नई किताब “आरएसएस की साजिश -26/11? ” अपनी विकृत सोच को हीं सामने लाये हैं | स किताब से यह बात पूरी तरह साबित होती है कि बर्नी की देश और देशवासियों के प्रति सोच क्या है। अच्छा होता कि वे अपने इन विचारों को समे लाने से पहले एक बार यह सोच लेते कि वे एक भारतवासी हैं, और एक सच्चे भारतीय के तौर पर अपने अन्य देशवासियों के दिल पर चोट पहुंचा कर वे भी एक तरह का आतंक फैला रहे हैं। अजीज बर्नी ने अपनी किताब में मुंबई के 26/11 हमले में आतंकियों की गोलियों का निशाना बने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल उठाया है। ऐसी ही बातें बर्नी ने दिल्ली के बाटला हाऊस मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस इंसपेक्टर मोहन चन्द शर्मा की मौत पर भी कही थी।
इन शहीदों की शहादत पर जब इनके परिवार वालों को कोई संदेह नहीं हुआ तो बर्नी को ऐसा संदेह क्यों हुआ ? इन सबके बावजूद अगर अजीज बर्नी इनकी बहादुरी या शहादत पर सवाल उठाते हैं तो इसके पीछे बर्नी की ओछी राजीनीति की मंशा साफ़ झलकती है | ऐसा करके बर्नी ने ना सिर्फ राष्ट्र के साथ विश्वासघात किया है बल्कि पत्रकारिता के स्तर को भी नीचे गिराया है |
बर्नी ने अपनी किताब “आरएसएस की साजिश -26/11? ” में मुंबई हमले के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ होने की आशंका जताई है जिसके पक्ष में उन्होंने कई निराधार बातें कही हैं | इस कोशिश में बर्नी ने हमले के दौरान हुई कई प्रमुख बातों का खुद को ज्ञान न होने की बात स्पष्ट की है |
इन्होंने मुंबई हमले को देश में बैठे संघ के लोगों की साजिश करार तो दिया, परंतु उन्हें यह नहीं मालूम कि जिस समय मुंबई पर हमला हो रहा था उसी दौरान खुफिया एजेंसियों ने आतंकियों के मोबाइल कॉल्स को जब ट्रेप किया था तो पता चला कि हमलावर लगातार पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क कर रहे थे, जहां से उनके आका उन्हें आगे की रणनीति बताते हुए दिशा-निर्देश दे रहे थे। पाकिस्तान में बैठे आका मुंबई के ताज होटल एवं ओबरॉय होटल के बाहर सुरक्षा बलों की गतिविधियों का ब्योरा भी इन होटलों में घुसे आतंकियों को दे रहे थे, जिससे उन्हें अपना काम अंजाम देने में दिक्कत न हो।
क्या यह बातें अजीज बर्नी को नहीं मालूम ? क्या पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका संघ के लोग थे ? या वे मुंबई पर हमला करने के लिए अजमल आमिर कसाब के संग आये | पाकिस्तानी नागरिक क्या संघ के कार्यकर्त्ता थे ? इसका जवाब अजीज बर्नी को देना चाहिए |
वैसे अगर मेरी जानकारी गलत नहीं तो मुंबई के 26/11 हमले के दिन अजीज बर्नी पाकिस्तान के कराची शहर में मौजूद थे। वहां 25/11 को ही अपने एक साथी पत्रकार के साथ गए थे और 26/11 को मुंबई पर हमला होने के बावजूद बर्नी पाकिस्तान में ही मौजूद रहे। अपने द्वारा किए जा रहे तथाकथित खुलासों के साथ-साथ क्या बर्नी 26/11 के दौरान अपने पाकिस्तान यात्रा एवं इसके मकसद पर भी प्रकाश डालेंगे? वैसे यह हमले के जांच में जुटी जांच एजेंसियों के लिए भी जांच का विषय है कि ठीक हमले के दौरान अजीज बर्नी पाकिस्तान क्या करने गए थे। बर्नी की वहां किन-किन लोगों से मुलाकात हुई एवं उनकी मुलाकात का एजेंडा क्या था?
साभार: पाञ्चजन्य ,
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