बीजिंग. चीन को भारत सहित कई देशों में चल रही लोकतांत्रिक बहुदलीय प्रणाली पर सख्त आपत्ति है। चीन ने इन देशों से कहा है कि वे अपनी राजनीतिक व्यवस्था पर फिर विचार करें और इसे चीन की तरह एक दलीय प्रणाली बनाएं।
चीन में लोकतंत्र नहीं है बल्कि तानाशाही जैसा माहौल है। वहां केवल एक ही दल कम्युनिस्ट पार्टी सक्रिय है। यहां राजनीतिक व्यवस्था में फेरबदल की वकालत करने वालों के साथ काफी कड़ाई से निबटा जाता है। राजनीतिक सुधार चाहने वाले कई नेता जेल में बंद हैं। यहां तक कि चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के भाषणों में भी राजनीतिक सुधार का संकेत मिलने के बाद उन्हें सेंसर कर दिया गया।
विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र भारत सहित कई देशों में बहुदलीय प्रणाली आधारित राजनीतिक व्यवस्था है, जहां विरोधियों को भी मुखरता से बोलने की पूरी आजादी है। लेकिन चीन चाहता है कि विश्व के सभी देशों को उनके देश में लागू प्रणाली अपनाना चाहिए। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने अपने संपादकीय में बहुपार्टी प्रणाली की आलोचना की है। अखबार ने अपने संपादकीय में चीन की राजनीतिक व्यवस्था की तारीफ करते हुए सत्ता एक ही पार्टी के हाथों में रखे जाने की वकालत की है। लेक के अनुसार इससे विकास की गति को बढ़ाने में मदद मिलती है।
डेली के अनुसार कई देशों में अपनाई गई बहुदलीय प्रणाली उपनिवेशवाद और गुलामी का प्रतीक है। संपादकीय में कहा गया है कि यदि चीन इन देशों की व्यवस्था को अपना ले तो एकजुट होकर देशहित में संघर्ष करने और नेतृत्व की मजबूती खत्म हो जाएगी और देश बिखर जाएगा।
चीन में बहुदलीय प्रणाली के समर्थकों के साथ शासन सख्ती से निबटता है। हाल ही में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त लिउ जियाबाओ भी इसी आरोप में 11 साल की सजा काट रहे हैं। पुरस्कार की घोषणा होने के बाद उनकी पत्नी और कुछ समर्थकों को नजरबंद कर दिया गया है।
चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने भी राजनीतिक व्यवस्था में किसी ठोस सुधार की वकालत नहीं की थी बल्कि आर्थिक उन्नति जारी रखने के लिए साधारण बदलाव की बात कही थी। लेकिन उसे भी चीन की कम्युनिस्ट सत्ता पचा नहीं सकी। उनके भाषणों को ही सरकार ने चार बार सेंसर कर दिया। वेन पार्टी में तीसरे बड़े नेता हैं। उन्हें 2012 की खुरुआत में अपना पद छोड़ना
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