Friday, October 8, 2010

तातारपुर बस्ती रावण के पुतलों की मंडी के नाम से मशहूर है

हर साल की तरह इस साल भी असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक रूप ’रावण दहन’ की तैयारियां जोर – शोर से चल रही हैं । कॉमन्वेल्थ गेम्स के चलते हर कोई इसी कश्मकश में था कि रावण दहन हो सकेगा या नहीं , रामलीला मंचन का क्या स्वरूप रहेगा ? लेकिन आज असमंजस के सभी बादल छंट गये हैं । एक ओर समूचा देश कॉमन्वेल्थ गेम्स की बयार में बह रहा है वहीं रामलीलाओं का मंचन भी अपनी पूरी भव्यता से चल रहा है । इन्हीं सब गतिविधियों के चलते हुए दिल्ली की एक छोटी सी बस्ती तातारपुर पूरी तरह रावण के रंग में रंग गई है । यहां रावण के पुतले बनाने वाले कामगारों ने अपने काम में तेजी ला दी है और वे दिन रात लगकर रावण के पुतले तैयार करने में जुट गए हैं ।
दिल्ली के राजागार्डन के पास स्थित तातारपुर बस्ती रावण के पुतलों की मंडी के नाम से मशहूर है । दिन – प्रतिदिन बढ़ती रामलीलाओं की संख्याओं के चलते पिछले पचास वर्षों से चला आ रहा यह व्यवसाय आज खूब फल – फूल रहा है । कभी एक व्यक्ति द्वारा शुरू किए गए इस व्यवसाय मे दर्जनों लोग लग गए हैं यही वजह है कि इस क्षेत्र ने मंडी का रूप ले लिया है ।
तातारपुर मंडी दिल्ली में ही नहीं बल्कि देशभर में ऎकमात्र ऎसी मंडी है जहां हर साल सैकड़ों की संख्या में रावण के पुतले तैयार होते हैं । ये पुतले दिल्ली व देश के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों के अलावा विदेशी धरती पर भी अपनी धूम मचाते हैं । यहां रावण के अलावा मेघनाद तथा कुंभकर्ण के भी पुतले बड़ी मात्रा में तैयार किए जाते हैं । इस क्षेत्र में नजर डालने पर ऎसा लगता है मानो यहां रावण परिवार का मेला लगा हुआ हो । पुतले बनाने में मशगूल एक दुकानदार महेन्द्रपाल ने बताया कि वे दस फुट से लेकर चालीस – पचास फुट तक के पुतले तैयार करते हैं । आमतौर पर वे दस से बीस फीट तक के पुतले तैयार करते हैं जबकि तीस से पचास फीट के पुतले आर्डर पर ही तैयार करते हैं । क्योंकि इनमें लागत ज्यादा आती है तथा इनके गिरने का खतरा भी बना रहता है । राजेन्द्र बताते हैं कि पुतले बनाने का काम काफी जोखिम भरा भी है , क्योंकि यह जरूरी नहीम कि हमने जितने पुतले तैयार किए हैं वे सभी बिक जाएं । कभि – कभी तो सारे निकल जाते है और ग्राहकों कि डिमांड पूरी नहीं हो पाती है । कभी जो तैयार हैं वे भी नहीं निकल पाते । जिसका हर्जाना पुतला बनाने वाले को ही भुगतना पड़ता है । ये चीज ऎसी नहीं है कि नहीं बिक सकी है तो बाद में काम आ जाएगी । दशहरे के बाद इन पुतलों को पूछने वाला कोई नहीं होता । इसलिए वे बहुत ही डर – डर के पुतले तैयार करते हैं ।

1 comment:

  1. रावण के नाम पर दे दे । नही ले ले ।

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