भोपाल। मध्यप्रदेश काग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वनवासी सम्मान यात्रा करने की बजाए वनवासियों और आदिवासियों को उनके हक दिलाने में अपनी ऊर्जा खर्च करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ चौहान वनवासी सम्मान यात्रा कर रहे हैं, दूसरी ओर पूरा प्रशासन वनवासियों और आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने में लगा है।
पचौरी ने शुक्रवार को यहा कुछ पत्रकारों से चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने काग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाधी की पहल पर वनवासियों को वन अधिकार कानून के तहत वन भूमि के पट्टे देने का निर्णय लिया है, परंतु मध्यप्रदेश में इस अधिनियम का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। कानून के तहत प्रदेश में वनवासियों के चार लाख 482 आवेदन राज्य सरकार को प्राप्त हुए हैं, जिनमें केवल 94 हजार 154 वनवासियों को ही वन भूमि के पट्टे दिए गए हैं। 2 लाख 53 हजार आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने पहले इस अधिनियम को लागू करने में देरी की और अब वह अनियमितताएं कर रही है।
पचौरी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र बुधनी के खटपुरा गाव की आदिवासी महिला सुकमा बाई के परिवार को उनकी काबिज वन भूमि का मालिकाना हक अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी अधिनियम के तहत मिलना था, पर यह हक देने की बजाए अधिकारियों ने उसे प्रताड़ित किया और झूठे मुकदमे में जेल भेज दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आदिवासी जिलों में बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में कुपोषित बच्चों का अनुपात पिछले सात वर्षो में 53.5 प्रतिशत से बढ़कर 60.3 प्रतिशत हो गया है। अनूसूचित जाति और जनजातियों पर अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं और सरकार इस मामले में असंवेदनशील बनी हुई है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री चौहान और सत्तारुढ़ भाजपा के इस आरोप को भी बेबुनियाद बताया कि केन्द्र सरकार मप्र के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और सूबे की जनता के अधिकारों में कटौती की जा रही है। उन्होंने बताया कि केन्द्र ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना के तहत प्रदेश में आठ विद्यालय प्रारंभ करने के लिए 12 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत कर दी है लेकिन राज्य सरकार ने कई स्थानों पर इस विद्यालय को खोलने के लिए 20 एकड़ भूमि चिन्हित कर प्रस्ताव अभी तक केन्द्र सरकार को नहीं भेजा है।
पचौरी ने बताया कि भाजपा बिजली का रोना रोती है, जबकि सच्चाई यह है कि केन्द्र में एनडीए की सरकार ने वर्ष 2003-04 में मप्र को जहां 1697 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई थी वहीं 2009-10 में 2389 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई है। इसी तरह इंदिरा आवास, प्रधानमंत्री सड़क, मनरेगा, जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत मप्र को केन्द्र से भरपूर पैसा दिया गया है। पचौरी ने एनडीए सरकार की तुलना में पत्रकारों को आंकड़े भी उपलब्ध करवाए। उन्होंने कहा कि मप्र सरकार कर्ज में बुरी तरह डूबी है और राज्य में कानून-व्यवस्था की हालत भी बिगड़ती जा रही है।
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