विशेष पर्यटन क्षेत्र स्थापित होंगे, राज्य पर्यटन विकास परिषद का गठन
विलासिता कर, मनोरंजन और मुद्रांक शुल्क में छूट, प्रदेश की नयी पर्यटन नीति का मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन
Bhopal:Tuesday, October 12, 2010:
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश की नयी पर्यटन नीति का अनुमोदन किया गया। नीति में निजी निवेश प्रोत्साहन, पीपीपी परियोजनाओं, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, विभिन्न विभागों और संस्थाओं की भागीदारी और ईको पर्यटन सहित विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं।
नीति में राज्य पर्यटन विकास परिषद के गठन का प्रावधान है। परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे तथा संभावित विभागों के मंत्री, अधिकारी और पर्यटन क्षेत्र के स्टेक होल्डर्स इसके सदस्य होंगे। जिला पर्यटन संवर्धन परिषद का गठन भी किया जायेगा। पर्यटन विभाग को जिला कलेक्टरों के साथ विचार विमर्श कर इनके स्वरूप को अंतिम रूप देने के लिये अधिकृत किया गया है।
प्रदेश के अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं है लेकिन वहां निवेश की कोई पहल नहीं की गई है, इनमें इंदिरा सागर, गांधी सागर, संजय नेशनल पार्क, चम्बल, तामिया आदि शामिल हैं। ऐसे क्षेत्रों का चयन कर उन्हें विशेष पर्यटन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जायेगा। इन क्षेत्रों को चिन्हित करने तथा उनकी भौगोलिक सीमाओं के निर्धारण का कार्य राज्य पर्यटन संवर्धन एवं विकास परिषद द्वारा किया जायेगा। ऐसे क्षेत्रों में जो पर्यटक परियोजनाएं स्थापित होंगी, उन्हें भूमि के क्रय विक्रय के संव्यवहारों पर देय समस्त पंजीयन शुल्क से छूट रहेगी जो परियोजना शुरू होने के बाद पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति के रूप में दी जायेगी। बार/होटलों को एफएल-2/3 बी लायसेंस फीस में 75 प्रतिशत की छूट दी जायेगी और वे न्यूनतम गारंटी की शर्त से मुक्त रहेंगे। इन परियोजनाओं को व्यपवर्तन प्रीमियम तथा शुल्क से भी छूट रहेगी। इन क्षेत्रों में पर्यटकों के परिवहन के उपयोग में लाये जा रहे वाहनों को परिवहन कर से पांच वर्ष की अवधि तक शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी।
नयी नीति में यह प्रावधान है कि मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम पूर्ववत पर्यटक सेवाओं को प्रदान करने का कार्य करता रहेगा, परंतु ऐसी इकाईयों को जो संतोषजनक लाभ का केन्द्र नहीं बनी है उन्हें प्रबंधकीय अनुबंध तथा दीर्घ अवधि की लीज पर निजी क्षेत्र को दे सकेगा। पर्यटन उद्योग के सभी हितधारी पक्षों के साथ समन्वय रखकर निगम समस्याओं के समाधान की पहल करेगा। ऐसे नये क्षेत्रों में निवेश करेगा जहां पर पर्यटन की संभावना है परंतु अधोसंरचना का विकास नहीं हुआ है। इससे उस क्षेत्र में निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा।
वर्तमान में होटल तथा वास गृहों में विलास वस्तुओं पर 500 रूपये तक विलासिता कर पर छूट है। इसके अलावा 501 से 1000 रूपये पर 5 प्रतिशत, तथा 1000 रूपये से अधिक पर 10 प्रतिशत कर लिया जाता है। नयी नीति में पूर्ण छूट के लिये 500 रूपये की सीमा को बढ़ाकर 2000 रूपये किया गया है। इससे अधिक राशि पर कर की दर 10 प्रतिशत रखी गई है। आफ सीजन में विलासिता कर शून्य किया गया है। आफ सीजन की अधिकतम अवधि तीन माह रहेगी।
नये होटलों के लिये वर्तमान में इंदौर, भोपाल ग्वालियर, जबलपुर और खजुराहो में पांच वर्ष तथा अन्य स्थानों में आठ वर्ष के लिये छूट है। इसके लिये एक करोड़ रूपये का न्यूनतम पूंजी निवेश तथा 10 कमरों का निर्माण आवश्यक है। नयी नीति में इंदौर, भोपाल को पांच वर्ष तथा शेष के लिये आठ वर्ष की अवधि रहेगी। 10 कमरों के प्रतिबंध को समाप्त कर दिया गया है। अगर पूर्व से संचालित होटल में 50 लाख रूपये से अधिक का पूंजी निवेश कर विस्तार किया जाता है तो के विस्तारित अंश को उपरोक्त अनुसार छूट रहेगी।
बेड एण्ड ब्रेकफास्ट योजना के अंतर्गत 5 कमरों की स्थापित इकाईयां विलासिता कर से मुक्त रहेंगी। उन पर पूंजी निवेश की सीमा तथा कमरों की संख्या का प्रतिबंध नहीं रहेगा।
एक अप्रेल 2006 के बाद किसी क्षेत्र में यदि नये हेरिटेज होटल की स्थापना की गई है तो उसे भी 10 वर्ष के लिये छूट की पात्रता होगी। ऐसे होटलों पर कमरों की संख्या का प्रतिबंध लागू नहीं होगा। होटल के निर्माण में न्यूनतम एक करोड़ रूपये के पूंजी निवेश की शर्त होगी।
आबकारी के संबंध में नीति में प्रावधान है कि मध्यप्रदेश पर्यटन निगम की सभी इकाईयों को न्यूनतम गारंटी के बंधन से मुक्त रखा जायेगा। मनोरंजन कर के संबंध में प्रावधान है कि पर्यटक परियोजनाओं में मनोरंजन के स्थाई साधनों के लिये 10 वर्ष तक छूट रहेगी। इन परियोजनाओं में आयोजित नृत्य संगीत आदि अस्थाई स्वरूप के मनोरंजन कार्यक्रमों पर भी परियोजना स्थापित होने के बाद 6 वर्ष की अवधि के लिये मनोरंजन कर से छूट दी जायेगी।
पर्यटन नीति में केसिनो खोले जाने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है।
नयी नीति में नयी हेरिटेज पर्यटक परियोजना की स्थापना के लिये संबंधित हेरिटेज भवन के निर्मित क्षेत्र फल तथा उससे लगी अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि के मूल्य पर पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क पर शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी। पर्यटन विभाग द्वारा जो शासकीय भूमियां पर्यटन परियोजनाओं के लिये लीज/विकास अनुबंध पर दी जायेंगी उन पर पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क देय नहीं होगा।
पर्यटन विभाग द्वारा विनिर्दिष्ट पर्यटन मार्गों पर पर्यटन ऑपरेटरों को मोटर यान कर से दो वर्ष की छूट दी जायेगी। इस प्रावधान में नागपुर-पेंच-भेड़ाघाट-जबलपुर-मैहर-चित्रकूट तथा इंदौर-उज्जैन-बड़नगर-रतलाम-मंदसौर-नीमच पर्यटन मार्गों को भी जोड़ा जायेगा।
वर्तमान में सरकारी जमीन का नीलाम द्वारा निवर्तन करने की नीति के अनुसार निजी क्षेत्र को भूमि पट्टे पर आवंटित की जाती है। पर्यटन विभाग द्वारा इस निर्धारित नीति के अंतर्गत भूमि 90 वर्ष के पट्टे पर ही दी जायेगी। पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कपितय भूमि को 90 वर्ष के पट्टे पर देने के स्थान पर उसका निस्तारण पीपीपी के माध्यम से किया जाना उपयुक्त हो सकता है। ऐसी भूमियों पर पर्यटन संबंधी गतिविधियों का विकास निजी निवेशकों के साथ विकास अनुबंध के माध्यम से किया जायेगा।
जो भी नयी पर्यटन परियोजनाएं स्थापित होंगी अथवा पुरानी स्थापित पुरानी योजनाओं के द्वारा नयी भूमि क्रय परियोजना का विस्तार किया जायेगा तो उन पर डायवर्सन शुल्क भू-राजस्व संहिता के अंतर्गत बने नियम के अनुसार आवासीय प्रयोजन के लिये निर्धारित दर के 20 प्रतिशत के बराबर होगी। यह लाभ परियोजना संचालन की अवधि के लिये होगा।
ईको तथा साहसिक पर्यटन के संबंध में यह प्रावधान है कि पर्यटन विभाग ईको/साहसिक पर्यटन से संबंधित गतिविधि का निर्धारण करने के लिये स्वतंत्र होगा। निजी निवेश को आकर्षित करने के लिये पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्ताव आमंत्रित किये जायेंगे। अगर उसे उस भूमि की लम्बे समय की आवश्यकता है तो उसे वह भूमि तीस वर्षीय विकास अनुबंध पर दी जायेगी।
यदि कोई हेरिटेज होटल तथा अन्य पर्यटक परियोजना केप्टिव पावर प्लांट स्थापित करता है तो उसे विद्युत उपकर से शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी।
मध्यप्रदेश में फिल्म निर्माताओं द्वारा दिखाई जा रही रूचि को ध्यान में रखते हुये यह प्रावधान किया गया है कि पर्यटन विभाग द्वारा एक ऐसा प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जायेगा जो फिल्म निर्माताओं को विधि मान्य अनुमतियां शासकीय विभागों से प्राप्त करने के लिये समन्वय करेगा। राज्य शासन द्वारा पर्यटन नीति में जल पर्यटन नीति, वायुसेवा तथा नागरिकों के लिये रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण से संबंधित प्रावधान भी शामिल किये गये हैं।
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