Monday, October 11, 2010

नर बाघ सागर का एलोपैथिक तथा होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज

नर बाघ सागर का एलोपैथिक तथा होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज

वन्यप्राणी को रखा गया है गहन निगरानी में
Bhopal:Monday, October 11, 2010:


वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के नर बाघ 'सागर' का एलोपैथिक के साथ-साथ होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से किया जा रहा है। नर बाघ के अपना नियमित भोजन नहीं लेने के कारण इस वन्यप्राणी को इन्ट्रावीनस फ्लूड दिया जा रहा है। वन्यप्राणी को गहन निगरानी में रखा गया है। बाघ के लगातार उपचार के फलस्वरूप बाघ द्वारा कुछ अच्छे लक्षण दर्शाये गये हैं। इसके द्वारा नियमित पानी पीना एवं यूरिन पास करना प्रारंभ कर दिया है, जिसे चिकित्सक सकारात्मक तरीके से ले रहे हैं। इस वन्यप्राणी के लीवर में सुधार परिलक्षित हुआ है, परंतु किडनी में कोई भी सुधार परिलक्षित नहीं हुआ है।

उक्त बाघ के गत चार अक्टूबर तथा पुन: छह अक्टूबर को रक्त के नमूने लिये जाकर परीक्षण के लिये भेजे गये थे। रक्त परीक्षण की रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार किडनी एवं लीवर दोनों ही क्षतिग्रस्त होने की संभावना व्यक्त की गई है। उक्त बाघ की गत आठ अक्टूबर को शहर के प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता नेफ्रोलॉजिस्ट की मदद से पेरीटेनियल डायलिसिस भी की गई है। साथ ही गत 9 अक्टूबर को भी पुन: रक्त के नमूने परीक्षण के लिये भेजे गये थे, जिसमें लीवर में सुधार परिलक्षित हुआ, परन्तु किडनी में कोई भी सुधार नजर नहीं आया। एलोपैथिक के साथ-साथ बाघ का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से डॉ. अशोक जैन द्वारा उपचार किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में रेस्क्यू सेंटर का नर बाघ सागर विगत कुछ दिनों से अपना नियमित भोजन नहीं ले रहा है। इस वन्यप्राणी का उपचार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, जबलपुर के डॉ. ए.बी. श्रीवास्तव, वन्यजीव संस्थान, देहरादून के डॉ. पराग निगम, आई.वी.आर.आई, इज्जतनगर बरेली के डॉ. पावड़े से लिये गये परामर्श के अनुसार वन विहार के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता द्वारा किया जा रहा है। यह नर बाघ सात वर्ष की उम्र में 19 मई, 2006 को जयपुर से वन विहार लाया गया था।

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