नई दिल्ली, अयोध्या पर सियासत गरमाने की कोशिशों से परेशान कांग्रेस को सबसे ज्यादा चिंता एक महीने बाद शुरू होने वाले संसद सत्र को लेकर है। इस बात के साफ संकेत हैं कि मुस्लिम वोटों की होड़ में शामिल दल अयोध्या मुद्दे को किसी न किसी बहाने संसद में उठाने के लिए कमर कस चुके हैं। इसके मद्देनजर, कांग्रेस ने संसद सत्र के लिए अभी से घेराबंदी शुरू कर दी है। इस कड़ी में कांग्रेस जहां अदालत के फैसले को सबसे स्वीकार्य बताने में जुटी है, वहीं सुप्रीम कोर्ट से पहले इस मसले के समाधान की पैरवी तेज कर दी है।
दरअसल, कांग्रेस पहले से ही ऐसा माहौल बना देना चाहती है कि अदालत के आदेश के खिलाफ राजनीति को सामाजिक माहौैल बिगाड़ने की कोशिशों से जोड़ दिया जाए। इसी रणनीति के तहत वह मुस्लिमों के बीच सियासत चमकाने की कोशिश कर रहे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और व अन्य दलों पर काबू पाना चाहती है। सोची-समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने सिमी से संघ परिवार की तुलना कर पहले तो मुस्लिमों के बीच में उनका खैरख्वाह होने का संकेत दिया। अब वह फैसले के खिलाफ सियासत करने वालों को भी अस्पृश्य बनाने के लिए अदालत से बाहर शांतिपूर्ण समझौते के लिए पुरजोर पैरवी करते दिखेगी।
हालांकि, इस शांति प्रक्रिया में खुद वह सिर नहीं फंसाना चाहती। इसीलिए, वह परोक्ष रूप से कई संगठनों के जरिये अदालत के बाहर समझौते की कोशिशों को हवा देने का काम कर रही है। कांग्रेस के नेता फैसले पर सवाल उठाने वालों को भी हतोत्साहित करने का हर प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस खेमे की तरफ से साफ-साफ कहा जा रहा है कि 'हाईकोर्ट का फैसला सबसे स्वीकार्य फैसला है। अदालतें सिर्फ कानून ही नहीं, सामाजिक माहौल पर भी ध्यान देती हैं। सुप्रीमकोर्ट से भी इससे बहुत इतर फैसला आने की उम्मीद नहीं है। इसीलिए, दोनों समुदायों के बीच पहले ही शांतिपूर्ण समाधान सबसे बेहतर है।'
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