Friday, October 29, 2010

कमलाकर सिंह अब नहीं रहे डॉक्टर,छिनेगी उपाधि

भोपाल. भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कमलाकर सिंह से डॉक्टरेट की उपाधि छिनने जा रही है। नकल कर पीएचडी की थीसिस पूरी करने का आरोप साबित होने के बाद बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) की कार्यपरिषद ने उपाधि वापस लेने का फैसला लिया । शुक्रवार को हुई बैठक में ये मुद्दा छाया रहा। पीएचडी हासिल करने के तकरीबन 23 साल बाद डॉक्टरेट की उपाधि वापस लिए जाने का यह मामला इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि कमलाकर सिंह पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह के नजदीकियों में शुमार किए जाते हैं।

सिंह ने बीयू में सहायक कुलसचिव रहते हुए वर्ष 1987 में विवि से पीएचडी की थी। उन्होंने अपने पीएचडी गाइड एसपी नार्टन की थीसिस की नकल की थी। सूत्रों के मुताबिक सिंह पीएचडी के लिए आरडीसी में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने अपनी थीसिस को विवि के लिम्नोलॉजी विभाग के प्रो. प्रदीप सिंह से अग्रेषित कराने के बाद जमा किया था। इसके अलावा सिंह ने विवि में पीएचडी मूल्यांकन की फीस जमा नहीं की थी।

सदस्यों ने कहा - वापस लो पीएचडी

पीएचडी की थीसिस में नकल करना विवि को धोखा देना है, इसलिए कमलाकर सिंह से पीएचडी की उपाधि वापस ली जाए। यह बात एक सुर में कार्यपरिषद के 15 सदस्यों ने कही, जबकि कार्यपरिषद सदस्य प्रो. एपीएस चौहान और प्रो. टीपी सिंह ने कमलाकर सिंह से पीएचडी वापस लेने के निर्णय पर अपना विरोध दर्ज कराया।

कौन थे एसपी नार्टन ?

नकल से पीएचडी करने वाले कमलाकर सिंह के गाइड डॉ. एसपी नार्टन थे। नार्टन बीयू में जूलॉजी विभाग में प्रोफेसर थे।

धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बरकतउल्ला विवि प्रबंधन और सरकार से नकल से पीएचडी करने वाले कमलाकर सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की मांग की है। एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा ने बताया कि सिंह को पीएचडी में नकल के लिए कठोर दंड दिया जाए, जिससे भविष्य में कोई भी पीएचडी की थीसिस में नकल करने की कोशिश न करें। साथ ही श्री शर्मा ने सरकार से बीयू कार्यपरिषद में सिंह की पीएचडी खारिज करने के निर्णय पर आपत्ति दर्ज कराने वाले दोनों प्रोफेसरों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच कराने की मांग की है।

अब ये हो सकता है ..

* पीएचडी के रूप में लिए लाभ की वसूली।

* धोखाधड़ी का मामाल कायम हो सकता है।

* विश्वसनीयता संदिग्ध होने पर सिंह की नौकरी संकट में फंस सकती है।

* कार्यपरिषद के फैसले को सिंह कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

* सिंह कोर्ट से कार्यपरिषद के फैसले पर स्टे ले सकते हैं।

यह विवि कार्यपरिषद का निर्णय है। यदि कमलाकर सिंह ने गलत लाभ लिए होंगे तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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