Friday, October 8, 2010

गुजराती समाज में पारंपरिक गरबे की धूम


पारंपरिक गुजराती लोकगीतों के साथ गरबे के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना प्रारंभ हुई। तुलसीनगर स्थित गुजराती समाज भवन में पारंपरिक वेशभूषा में समाज के सदस्यों ने गरबा किया।

जूनागढ़ के पीयूष दवे के गुजराती गीतों पर गरबा का दौर देर रात तक चला। गरबे में तीन ताली, दो ताली और मां दुर्गा की आरती हुई। साथ ही डांडिया भी खेला गया। गुजराती समाज के पूर्व अध्यक्ष सुमित पोण्डा ने बताया कि शुक्रवार को दिन में गरबा स्थल पर गरबी की स्थापना की गई। इसमें धान, गेहूं के साथ तेल का दीपक जलाया गया। यह मातारानी के विराजमान होने का स्वरूप है।

इसके चारों ओर श्रद्धा और आस्था के साथ समाज के सदस्य गरबा खेलते हैं। गुजराती समाज में पिछले 51 वर्षो से जारी यह उत्सव पूरे नौ दिन तक जारी रहता है। इस बार गरबा स्थल पर 16 किलोग्राम चांदी की माताजी की मांडवड़ी बनाई गई है। जिसमें मां की छवि रहेगी। इसमें माता के नौ स्वरूपों को प्रदर्शित किया गया है।

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