Friday, October 8, 2010

नक्सलवाद के खिलाफ नई नीति की राह में अटके रोड़े


नई दिल्ली, नक्सलवाद के खिलाफ तेज विकास और सख्त कार्रवाई का केंद्र सरकार का नया फार्मूला पूरी तरह जमीन पर नहीं उतर पा रहा है। नक्सल प्रभावित सूबों में एकीकृत कमान बनाने की कवायद जहां सेवानिवृत्त मेजर जनरलों के चयन पर अटकी है, वहीं गृह मंत्रालय के परचम तले ढांचागत विकास के लिए पीपीपी मॉडल बनाने की कोशिशें भी उद्योग जगत के उदासीन रवैये के चलते परवान नहीं चढ़ पा रही हैं।

नक्सल प्रभावित राज्यों में सेना के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारियों को शामिल करते हुए एकीकृत कमान गठित करने की कवायद में गृह मंत्रालय कई हफ्ते पहले अधिकारियों की फेहरिस्त सूबों को भेज चुका है। लेकिन, अब तक किसी राज्य ने इसे मंजूरी नहीं दी है। वायुसेना दिवस के मौके पर एयर चीफ मार्शल की एट-होम पार्टी में पत्रकारों के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि समेकित कमान के लिए रक्षा मंत्रालय से हासिल मेजर जनरल रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारियों के नामों के पैनल पर केंद्र को अभी तक राज्यों की मंजूरी नहीं मिल पाई है। गौरतलब है कि अप्रैल में दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों और जून में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पर नक्सली हमले के बाद नक्सल प्रभावित राज्यों में सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों को शामिल करते हुए एकीकृत कमान का प्रस्ताव आया था। हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बाद गृह मंत्रालय ने ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सैन्य विशेषज्ञों और संसाधनों की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की थी।

वहीं नक्सल समस्या से उभरे घावों पर विकास कार्यो का मरहम लगाने की कोशिशों में सीमा सड़क संगठन की तर्ज पर गृह मंत्रालय में ढांचागत विकास योजनाओं की रफ्तार बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा गया था। इस मामले पर सरकार में उच्चतम स्तर पर सहमति भी बना ली गई थी। लेकिन इसके बाद निजी क्षेत्र की भागीदारी से विकास परियोजनाओं की गति सुधारने के लिए गृह मंत्रालय की कोशिशों को अपेक्षित जवाब नहीं मिल पाया। गृह मंत्री चिदंबरम के शब्दों में, 'हम भागीदार की तलाश कर रहे हैं और अभी तक कोई भी इसके लिए आगे नहीं आया है।'

सरकारी खेमा भी मानता है कि नक्सल प्रभावित इलाके की परियोजनाओं में सुरक्षा बड़ी चुनौती है। हालांकि इस बारे में गृह मंत्रालय की ओर से निजी क्षेत्र को सुरक्षा को लेकर दिए गए आश्वासनों के बावजूद इंजीनियरिंग कंपनियां आगे नहीं आ रही हैं।

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