भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों के आत्महत्या करने के मामले बढ़ रहे हैं। दो दिन पहले शनिवार को राजधानी से सटे सीहोर जिले में एक किसान ने आत्महत्या कर ली। उस पर लाखों रुपये का कर्ज था। चूंकि सीहोर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है और उनका निर्वाचन क्षेत्र भी इसी जिले में आता है, लिहाजा कांग्रेस ने सोमवार को किसानों की हालत पर चिंता जताते हुए महामहिम राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर को तुरंत ज्ञापन सौंप दिया। इस ज्ञापन में किसानों को राहत देने संबंधी सात मांगें की गई हैं।
पिछले पन्द्रह दिनों के भीतर अकेले सीहोर जिले में ही किसान द्वारा आत्महत्या करने का यह दूसरा मामला है। शनिवार को जिले की इछावर तहसील के ब्रिजीस नगर के शिवप्रसाद मेवाड़ा ने अपने खेत पर ही फांसी लगा ली। उस पर लगभग 11 लाख रुपये का कर्ज था। आए दिन होने वाले तकाजे और पाले से फसल बर्बाद होने के कारण परेशान शिवप्रसाद ने खुद की जान देने में ही भलाई समझी। इसके पहले सीहोर के चितवालिया गांव का दयाराम भी फांसी पर लटक गया था।
कांग्रेस ने किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता प्रकट करते हुए इसे गंभीर विषय बताया है और राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। पार्टी अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने सीहोर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कैलाश परमार और प्रवक्ताओं के साथ राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया है कि राज्य के किसान मप्र सरकार की वादा खिलाफी से परेशान हैं। भरपूर बिजली, पानी, खाद-बीज और तीन प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने के जो वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हुए हैं। प्रदेश में शीतलहर के प्रकोप से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कर्ज के बोझ के तनाव से किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
कांग्रेस ने जो ज्ञापन दिया है, उसमें मांग की गई है कि किसानों की फसलों का सर्वे कराकर तुरंत मुआवजा दिया जाए, कर्ज वसूली तुरंत रोकी जाए, विद्युत वोल्टेज की समस्या का निराकरण किया जाए, अस्थाई सिंचाई पंप कनेक्शन के नाम पर जमा कराए गए पांच हजार रुपये वापस लौटाए जाएं, नकली खाद-बीज एवं कीटनाशक से ठगे किसानों को फसल के उत्पादन के बराबर मुआवजा दिया जाए और दलहन-तिलहन विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई धन राशि किसानों तक पहुंची या नहीं, इसकी उचित एजेंसी से जांच कराई जाए।
पंद्रह दिन में दूसरा मामला
सीहोर जिले में पंद्रह दिन के भीतर दूसरे किसान ने आत्महत्या की है। इससे पहले 28 दिसंबर को सीहोर के ही गाव चितावलिया लाखा में कमोद सिंह के 30 वर्षीय पुत्र दयाराम ने खेत पर बने टपरे में फासी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक की पत्नी ने कर्ज से परेशान रहने के कारण फासी लगाने की बात कही थी।
एक माह में और भी घटनाएं हुई हैं
कर्जदार किसान की आत्महत्या अथवा जाने देने की कोशिश करने का यह छठवां मामला है। इससे पहले प्रदेश के कृषिमंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के गृह जिले दमोह में 16 दिसंबर को हर्रई तेजगढ़ के किसान नंदकिशोर यादव एवं 28 दिसंबर को ग्राम कुलुवा के किसान नंदराम रैकवार ने भी आत्महत्या कर ली थी। दोनों किसान फसलें खराब होने के कारण कर्ज नहीं चुका पाने से परेशान थे। दमोह में ही 7 जनवरी को टिकरी पिपरिया के किसान गुलाब सिंह और इससे पहले सेहरी गाव के किसान नरेंद्र लोधी ने कीटनाशक दवा पीकर आत्महत्या का प्रयास किया था।
भारतीय किसान संघ भी इन घटनाओं से नाराज है। संघ की सीहोर जिला इकाई के अध्यक्ष विक्रम सिंह पटेल ने कहा कि किसानों के लिए प्रदेश सरकार की योजनाएं कागजों तक ही सीमित हैं। किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। बैंक और विद्युत कंपनी वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं। इस कारण किसान अब आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। मुख्यमंत्री कोरी घोषणाएं कर रहे हैं। इस कारण प्रदेश में हर साल करीब डेढ़ हजार किसानों द्वारा आत्महत्या करने का आंकड़ा भारत सरकार ने भी बताया है।
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