जैविक व आधुनिक खेती ने संवारी इन्द्रशरण की तकदीर
Bhopal: Tuesday, January 4, 2011:
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खेती सीधी जिले की अधिकतर आबादी की आजीविका का आधार है। यहां की भौगोलिक दुरुहता, लगातार घट रही वर्षा की मात्रा तथा जमीन के अधिक उपजाऊ न होने के कारण किसानों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। सिंचाई के साधन सीमित होने तथा रासायनिक उर्वरक के दिनोंदिन बढ़ते दामों ने उनकी कठिनाईयों को और बढ़ा दिया है। ऐसे कठिन समय में जैविक खेती को अपनाकर तथा खेती के तरीकों को आधुनिक बनाकर ग्राम नौगवां धीर सिंह के किसान इन्द्रशरण सिंह ने खेती से लाखों रुपये कमाये हैं। उन्होंने लगातार चार वर्षों से कम वर्षा के बावजूद वैज्ञानिक तरीके अपनाकर खेती को लाभकारी बनाया है। उनकी सफलता जिले के अन्य किसानों के लिये प्रेरणादायी है।
जिला मुख्यालय सीधी से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम नौगवां धीरसिंह स्थित है। यहां वर्ष 2005 में शिक्षित युवा किसान इन्द्रशरण सिंह को सरपंच बनने का अवसर मिला। वाणिज्य तथा इतिहास विषयों में स्नातकोत्तर एवं विधि स्नातक उपाधि प्राप्त श्री सिंह के मन में गांव के विकास की ललक पैदा हुई। पढ़े-लिखे और सरपंच होने के कारण उन्हें शासन की ग्रामीण विकास की योजनाओं तथा अन्य विभागों की जानकारी मिली। इनका उपयोग उन्होंने गांव के विकास तथा अपनी खेती को उन्नत करने में किया। उन्होंने ग्राम पंचायत भवन के चारों ओर तारबंदी करवाकर 7.5 एकड़ क्षेत्र में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना से फलदार पौधों का रोपण कराया। आज यहां आँवला, अमरूद, आम तथा नीबू के पौधे लहलहा रहे हैं। आम को छोड़कर बाकी में फल आने प्रारंभ हो गये हैं। इसकी देखभाल के लिये ग्राम पंचायत ने एक चौकीदार की व्यवस्था की है। इस उद्यमी किसान ने अपनी खेती को आधुनिक बनाने का निश्चय किया। उन्होंने कृषि विभाग से 38 हजार रुपये अनुदान पर ट्रेक्टर खरीदा। इसके बाद उन्होंने खेती के कई उपकरण ड्रिप सिंचाई सिस्टम तथा स्प्रिंकलर खरीदे। उन्होंने 5 एकड़ क्षेत्र में मेडागास्कर विधि से धान का रोपण कराया। इससे उन्हें सामान्य से दोगुना उत्पादन प्राप्त हुआ। उन्होंने सहकारी बैंक सीधी से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर नियमित लेनदेन प्रारंभ किया।
श्री सिंह ने संभाग के कमिश्नर डॉ. रवीन्द्र पस्तोर के किसानों को बीज आत्मनिर्भरता के लिये चलाये जा रहे अभियान से जुड़कर अवंतिका बीज उत्पादक सहकारी समिति गठित की। इसके सदस्यों ने गत वर्ष 400 क्विंटल गेहूँ का आधार बीज तैयार किया। इसमें से 200 क्विंटल स्वयं के उपयोग के लिये रखकर शेष 200 क्विंटल कृषि विभाग के माध्यम से जिले के किसानों को बेचा गया। खेती को लाभकारी बनाने के लिये श्री सिंह ने जैविक खेती को अपनाया। उन्होंने गोबर गैस संयंत्र, नाडेप टांका तथा 50 फुट लम्बा बर्मीपिट बनवाया। इनसे हर महीने तीन क्विंटल जैविक खाद प्राप्त होती है।
कृषक इन्द्रशरण ने परम्परागत खेती को आधुनिक बनाने के साथ फल तथा सब्जी उत्पादन पर ध्यान केन्द्रित किया। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से 18 लाख रुपये की लागत से फलदार पौधों की माडल नर्सरी तैयार की। इसमें आम, नीबू, कटहल, आँवला तथा अमरूद के चार लाख पौधे तैयार किये गये। उन्होंने अपने घर के आसपास तथा खेत की मेड़ों में 1500 से अधिक सागौन के पेड़ तैयार किये हैं। पपीता, नीबू तथा अमरूद वे सफलतापूर्वक उगा रहे हैं। उन्होंने 10 एकड़ क्षेत्र में सब्जी का उत्पादन प्रारंभ किया है। इसमें 250 वर्गमीटर का ग्रीनहाउस बनाया गया है, जिसमें सब्जी तथा फलों की पौध तैयार की जायेगी। नलकूप तथा नाले से सिंचाई की व्यवस्था करके पूरे खेत में ड्रिप और स्प्रिंकलर से सिंचाई की जा रही है। खेत में मूली, बैगन, टमाटर, गोभी, धनिया, मिर्च तथा लौकी का उत्पादन हो रहा है। इससे हर माह लगभग 8 हजार रुपये आमदनी होती है। श्री सिंह ने इस साल विभिन्न फसलों से तीन लाख रुपये से अधिक की आमदनी प्राप्त की है। उनका खेत किसानों के लिये प्रेरणा का केन्द्र बन गया है।
दुर्गेश रायकवार
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