यूपी में उम्मीदवारों के चयन के लिये गुणा भाग
उत्तर प्रदेश में वर्ष २०१२ में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिये सत्तारुढ बहुजन समाज पार्टी की ओर से पिछले दिनों कई क्षेत्रों से अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिये जाने के बीच अन्य पार्टियों ने भी उम्मीदवारों के चयन के लिये माथापच्ची शुरू कर दी है और बसपा के कदम को ’छटपटाहट’ करार दे रहे इन दलों में से ज्यादातर पार्टियां खुद को चुनाव के लिये तैयार बता रही हैं। सियासी नजरिये से सबसे महत्वपूर्ण इस राज्य में अपने महासचिव राहुल गांधी के सहारे अपना खोया जनाधार हासिल करने की आस लगाए कांग्रेस में चुनाव को लेकर कोई सरगर्मी नजर नहीं आ रही है। यही वजह है कि कई स्थानों पर उसके कार्यकर्ता नववर्ष की बधाइयों के बैनर-पोस्टर लगाकर खुद को विधानसभा चुनाव में पार्टी का स्वयंभू प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं।
प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का दावा है कि उसने राज्य की सभी ४०३ विधानसभा सीटों में से प्रत्येक के लिये कम से कम पांच सम्भावित उम्मीदवारों के नाम छांट लिये हैं। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने आरोप लगाया कि बसपा चुनाव टिकट वितरण के नाम पर ’धन का खेल’ खेल रही है और उसने पार्टी के टिकट बेचने के लिये ’एडवांस बुकिंग’ शुरू कर दी है। जो जितनी ऊंची कीमत देगा, उसे पार्टी का टिकट बेच दिया जाएगा। यह सिलसिला चुनाव नामांकन दाखिल होने तक जारी रहेगा लिहाजा अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बसपा ने जो प्रत्याशी वर्तमान में घोषित किये हैं, वे ही चुनाव भी लडेंगे।
चौधरी ने कहा ’’हम चुनाव की तैयारी कर रहे हैं लेकिन बसपा की तर्ज पर नहीं। सपा ऊंचे दामों पर टिकट बेचने वाली निजी कम्पनी की तरह काम नहीं करती।’’ उन्होंने कहा कि अपने प्रेक्षकों की तैनाती करने के साथ-साथ वह पार्टी के सम्भावित उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के बारे में पक्के तौर पर जानकारी के लिये एक निजी कम्पनी की सेवाएं लेने जा रहे हैं। चौधरी ने कहा ’’पार्टी का चुनाव टिकट देते वक्त हम सम्भावित उम्मीदवार की पृष्ठभूमि, उसकी राजनीतिक विश्वसनीयता और जनता की सेवा के प्रति उसके योगदान को परखते हैं। प्रत्याशियों के नामों पर आखिरी फैसला १० फरवरी को गोरखपुर में शुरू हो रहे सपा के तीन दिवसीय राज्य अधिवेशन के बाद लिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में सपा समन्वयकों ने पार्टी के अंदर ही सम्भावित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा शुरू कर दी है। हालांकि औपचारिक ऐलान बाद में किया जाएगा।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रत्याशियों को अपने क्षेत्र में जनाधार मजबूत करने के लिये जरूरी बुनियादी काम के वास्ते पर्याप्त समय देने की खातिर वक्त से पहले ही उम्मीदवारों के नामों पर आखिरी निर्णय लेने की जरूरत को समझा है और उसका कहना है कि वह एक सिद्धांत पर काम कर रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता विंध्यवासिनी कुमार ने कहा ’’भाजपा बसपा की तरह बेतरतीब ढंग से टिकट नहीं बांटती। हमारे यहां राज्य निर्वाचन समिति की व्यवस्था है जो प्रत्याशियों के नाम छांटकर उन्हें पार्टी की केन्द्रीय निर्वाचन समिति के पास आखिरी निर्णय के लिये भेजती है।’’
बसपा की ओर से चुनाव से काफी पहले अपने अनेक प्रत्याशी घोषित कर दिये जाने के बारे में भाजपा नेता ने कहा कि दरअसल सत्तारुढ दल ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में बनाए रखने के लिये यह कदम उठाया है क्योंकि उसे डर है कि सत्ता विरोधी लहर या मौजूदा सरकार से नाउम्मीदी के चलते वे बसपा से दूर जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्याशी तय करने के लिये पार्टी के पास अभी काफी वक्त है और उसे किसी तरह की जल्दबाजी नहीं है।
उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कामयाबी के लिये ’मिशन २०१२’ नामक महत्वाकांक्षी मुहिम चला रही कांग्रेस ने भी चुनावों की तैयारियां शुरू की हैं लेकिन प्रत्याशियों के नाम तय करने की दिशा में खास प्रगति नहीं होने के चलते क* स्थानों पर उसके कार्यकर्ता ही स्वयंभू उम्मीदवार बन गए। नतीजतन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय को पार्टी के सभी जिला तथा नगर पदाधिकारियों को परिपत्र जारी करना पडा। विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जिक्र करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने कहा ’’पार्टी के पर्यवेक्षक पिछले छह महीने से अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और वे प्रान्तीय इका* को इस महीने अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।’’
उन्होंने बताया कि सत्रह और १८ जनवरी को पार्टी की समन्वय समिति की महत्वपूर्ण बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा। इस बैठक में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी हिस्सा लेंगे। श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस केन्द्रीय योजनाओं पर अमल करने में राज्य सरकार की नाकामी को जनता के सामने रखने के लिए एक रोडमैप तैयार कर रही है। बसपा की ओर से अनेक सीटों के लिये अपने प्रत्याशी घोषित किये जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा करके मायावती यह जाहिर करना चाहती हैं कि विधानसभा चुनाव समय से पहले भी हो सकते हैं।
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