Sunday, January 9, 2011
पेड न्यूज नहीं सुपारी पत्रकारिता कहे- मनोज श्रीवास्तव
पेड न्यूज नहीं सुपारी पत्रकारिता कहे- मनोज श्रीवास्तव
सुपारी नहीं दी इसलिए हाल खाली -शारदा
व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ी - आदित्यनारायण उपाध्याय
भोपाल। सुपारी पत्रकारिता के लिए भारत को या भारतीय पत्रकारिता को विशेष रूप से लज्जित नहीं करने की आवश्यकता नहीं है। । यह केवल भारत में ही नहीं पनप रही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी अलग अलग नामों से मौजूद है । कहीं इसे रेड पॉकेट जर्नलिजम तो कहीं व्हाइट एनवेलप जर्नेलिजम कहते हैं यह वाक्य है, भोपाल के संभाग आयुक्त मनोज श्रीवास्तव 2 जनवरी को शहीद भवन में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा का विषय था पत्रकारिता का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा पेड न्यूज । उन्होंने कहा ब्लेक सीप सभी जगह होती है सुपारी पत्रकारिता की अभी शुरूआत हुई है और मीडिया से ही सुपारी पत्रकारिता के विरोध में आवाज उठने लगी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में विज्ञापन देने वालों को ही विज्ञापन पर विश्वास नहीं होता और इस विश्वास की कमी ही सुपारी पत्रकारिता को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि कोई चीज विज्ञापन में जीवित नहीं होती, खबर का घूंघट ओढक़र ही लोगों को पसंद आती है । इसलिए पेड न्यूज का चलन बढ़ गया। उन्होंने कहा चूंकि आत्म नियमन प्रभावी नहीं है इसलिए कोई विधिक नियम होना जरूरी है। कार्यक्रम में 18 राज्यों से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित हुये। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं पत्रकार साथियों का स्वागत करते हुये नव प्रभात के संपादक आदित्य नारायण उपाध्याय ने कहा कि बड़े अखबारो को संचालित करने वाले पत्रकार नहीं, व्यापारी है। व्यापारियों ने अपना मुनाफा देखा, और व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ती गई। पैसा लेकर न्यूज लिखी जाने लगी,पेड न्यूज आज की पत्रकारिता का एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर आज हम सबको चर्चा करने की आवश्यकता है। ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि पेड न्यूज की चर्चा में कभी अखबार के मालिक तथा कोई नेता शामिल नहीं होते। पत्रकार भी इस विषय पर चर्चा करने से भागते है पेड न्यूज का पैसा पत्रकारों के पास नहीं जाता अखबार मालिकों के पास जाता है आज हम इस स्थिति में नहीं है कि पूरी व्यवस्था को बदल सकें। इस लिए हमें कोई और ही रास्ता निकालना होगा । जल्दी ऊंचे पद पर पहुंचने के लिए मालिक के कृपा पात्र बनने के लिए पेड न्यूज की इबारत हमने ही लिखी है अखबार में क्या झूठ है और क्या सच पब्लिक सब जानती है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को इतना ताकतबर बनाना होगा । जमाना तोप का है, तो हमारे पास तोप होना चाहिए । जमाना पैसा का है, तो हमारे पास पैसा होना चाहिए, तभी हम लड़ाई जीत सकते हैं। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शित करते हुये वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांताध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम की कवरेज के लिए कोई सुपारी नहीं दी इसी का नतीजा है कि कार्यक्रम की सूचना कुछ ही अखबारों में दी गई यदि सुपारी देते तो इस कार्यक्रम के कवरेज को प्रमुखता दी जाती। उन्होंने कहा कि सुपारी न देने के कारण आज भोपाल के पत्रकारों की उपस्थिति नगण्य है जहा यूनियन ने 250 निमंत्रण पत्र दिये यदि उनमे से आधे भी आ जाते तो इस हाल मेबैठने के लिए जगी नहीं होती । मित्रों की उपेस्थिति से लगता है कि सभी चाहते है कि पेड न्यूज का चलन पत्रकारिता में हो और उनका सोचना है कि वे जो भी खबर दे उसका उन्हे भुगतान मिले समाचार पत्र मालिकों के साथ पत्रकार भी चाहते है कि उन्हे हर समाचार का भुगतान मिले ।
आज की परिचर्चा आयोजित करने में एक प्रमुख समस्या यह भी थी कि कोई भी अखबार मालिक या राजनेता पेड न्यूज विषय पर नहीं बोलना चाहते। कार्यक्रम की अध्यक्षता बाला भास्कर,हैदराबाद तथा विशेष अतिथियों में नारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ एस.एस.झा, बिहार ,प्रेम शंकर ,लखनऊ,एस .रघुनाथन ,मद्रास ,आर नाथन,मद्रास हेमराज तिवारी,राजस्थान,सतीस संखला जयपुर,राहितास सैन ,राजस्थान एम.एल.उपाध्याय यू. पी.,संजीव शेखर बिहार सुब्रमण्यम आंध्रप्रदेश ध्रुव कुमार ,संजीव कुमार मिश्रा, निशांत भाई,चक्रधर आंध्रप्रदेश , मीना पंडया गुजरात , राजू मनोहर लाल तथा विशिष्ट अतिथियों में मनोज श्रीवास्तव ,तथा ओम मेहता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ से आए अहफाज रासिद ने किया ।
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