जन्म से मृत्यु तक साथ देने वाले तहसीलदार दुर्दशा के शिकार
भोपाल, 15 नवंबर 2010 । जन्म से मृत्यु तक साथ देने वाले तहसीलदार प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार में दुर्दशा के शिकार हैं। तहसीलदार के पद पर पदस्थ राजस्व विभाग के महत्वपूर्ण दायित्व को निभाने वाले तहसीलदार की तहसील में आज तक विभागाध्यक्ष की पदस्थापना नहीं की गई है।
विडम्बना देखिए कि एक तहसीलदार का डिप्टी कलेक्टर के पद पर से सेवानिवृत्त होने के पूर्व पदोéति मिलने का सपना बनकर रह गया। राजस्व महकमे में तहसीलदार महत्वपूर्ण कड़ी होती है, जहां राजस्व रिकार्ड रखने के लिये संसाधनों की कमी है। तहसीलदार के इस विभाग की दुर्दशा के कारण इसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह सरकार की कैबिनेट में राजस्व विभाग द्वारा विभागाध्यक्ष पद का प्रस्ताव भेजा गया है। स्वयं राजस्व मन्त्री श्री करण सिंह वर्मा तहसीलदारों की मांगों से सहमत हैं। रविवार को पूरे प्रदेश के पदाधिकारी अप्सरा रेस्टोरेंट में एकत्रित हुए जिसमें कि ग्वालियर, जबलपुर, उौन से आए पदाधिकारियों में प्रान्ताध्यक्ष रूपेश उपाध्याय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जी.एस. त्रिपाठी, अर्चना शर्मा, कोषाध्यक्ष संध्या चतुर्वेदी समेत तहसीलदार शामिल थे। प्रान्ताध्यक्ष श्री उपाध्याय ने पत्रकार वार्ता में आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की महत्वपूर्ण कड़ी तहसीलदार दुर्दशा के शिकार हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व मन्त्रालय की प्रशासनिक व्यवस्था के चलते तहसीलदारों को समयावधि में पदोéति नहीं मिलती है। कार्यालयों में लिपिक से लेकर भृत्यों की कमी है। ई-गवर्नेस की स्थिति के खस्ता हाल हैं। यहां तक कि तहसीलों में कम्प्यूटर आपरेटर तक नहीं है।
श्री उपाध्याय का कहना था कि वे सरकार द्वारा जारी की गई जनहित नीतियों में उनके साथ है किन्तु तहसीलदारों की व्यथा को समझते हुए उन्हें हमेशा चुनावों में डîूटी करने के लिए शासन मोहरा न बनाए। श्री उपाध्याय ने कहा कि वर्ष में तीन-चार चुनाव होने से राजस्व के कायो± में रुकावट होती है है। जन्म से मृत्यु तक के सफर में साथ देने वाला तहसीलदार दुर्दशा का शिकार हो रहा है।
- आर.एस. अग्रवाल
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`लोकवार्ता इंटरनेट समाचार सेवा´
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