Friday, November 26, 2010
कर्नाटक सरकार और लोकायुक्त में ठनी
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर लगे जमीन घोटाला मामले की न्यायिक जांच कराने के राज्य सरकार के फैसले पर लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने आपत्ति जताई है और कहा है कि इस मुद्दे पर एक शिकायत की लंबित जांच वह पूरी करेंगे। हेगड़े ने इस संबंध में सरकार को भी लिखा है। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा लंबित जांच को वे मुझसे नहीं ले सकते। उन्होंने सरकार की इस दलील को खारिज किया कि न्यायिक जांच का दायरा काफी व्यापक है और जिस केंद्रीय कानून के तहत जांच के आदेश दिए गए हैं वह राज्य लोकायुक्त कानून से ऊपर है।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हेगड़े ने कहा कि साफ साफ प्रावधान है कि केवल लोकायुक्त के पूर्व सहमति से ही सरकार ऐसे किसी मुद्दे की जांच के आदेश दे सकती है जो पहले से ही लोकायुक्त के समक्ष है। हेगड़े का यह कड़ा बयान न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी पद्माराज के मुख्यमंत्री के खिलाफ एक सदस्यीय जांच आयोग के लिए हां कहने के बाद आया है। कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड की जमीन को अपनी बेटी और गैरअधिसूचित बेंगलूर विकास प्राधिकरण की जमीन को अपने दामाद और बेटों को देने के लगे विपक्ष के लगाए आरोपों की जांच करने के लिए येदियुरप्पा ने जांच के आदेश दिये थे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एक पत्र में पद्मराज ने लोक हित में इस आयोग की अध्यक्षता स्वीकार कर ली है। उन्होंने आयोग के सुचारू कामकाज के लिए सरकार से जरूरी सुविधाएं उपलध कराने की मांग की है। हेगड़े ने कहा कि लोकायुक्त की पूर्व अनुमति के बिना इस मामले को किसी और जांच के लिए नहीं भेजा जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना समकानून का जिक्र किया और कर्नाटक लोकायुक्त कानून भारत के राष्ट्रपति की सहमति से पारित किया गया था।
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