भाजपा-कांग्रेस को अपनी नहीं, दूसरे की पूरी खबर
, November 26 -11=2010
भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दिनों राजनीति का मिजाज ही निराला है। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस का हाल एक मामले में समान है, और वह है अपने हाल से बेखबर होना। वहीं दूसरी ओर उन्हे अपने विरोधी दल के हाल की पूरी खबर है। विधानसभा में चल रहे हंगामें और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर के बीच एक बात खुलकर सामने आ गई है कि दोनों दल अपने भीतरी हाल से ज्यादा एक दूसरे के भीतरी हाल को खूब जानते है।
दोनों ही दल के नेताओं ने इसे जाहिर करने में भी कसर नहीं छोड़ी है। कांग्रेस ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर हंगामा किया है और इससे कार्रवाई भी प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफा तक मांग लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में चल रहे हंगामे की वजह कांग्रेस के भीतर नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए चल रही होड़ का नतीजा बताया है। कांग्रेसी हंगामा कर हाईकमान के सामने अपने अंक बढाना चाहते है। उनका मानना है कि यह हंगामा किसी और के इशारे पर हो रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस शिवराज से डरी हुई है। वहीं दूसरी ओर कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह कहते है कि भाजपा धड़ों में बंटी हुई है, यह बात विधानसभा में नजर भी आ जाती है।
संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा बोलते है तो कोई उनका साथ नहीं देता, वहीं उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का साथ देते भाजपा के पूरे विधायक नजर आते है। इतना ही नहीं विजयवर्गीय ने तो सदन में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का जिक्र कर अपनी मंशा भी जाहिर कर दी। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस को गुटबाजी से घिरा बताते हुए कहा है कि नेता अपने स्वार्थ की पूर्ति और कद बढ़ाने के लिए सदन का समय खराब किए जा रहे है। दोनों दलों में गुटबाजी और एक दूसरे को शिकस्त देने की कोशिशें किसी से छुपी नहीं है, लेकिन दोनों दलों के नेताओं द्वारा अपने दल के हाल का जिक्र में हिचक दिखाई जाती है। इसकी वजह भी है क्योंकि नेता जानते है कि ऐसा करने से उनका अपना ही नुकसान हो सकता है और इसीलिए वे अपने दल का नहीं दूसरे के दल का हाल बयां करने में पीछे नहीं है।
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