-मामला पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि का
टैक्सी किराए का जाली बिल, कार्यपरिषद् सदस्य को हटाया
प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी
उज्जैन, १० नवंबर (डॉ. अरुण जैन)। अभी महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय पूरी तरह आकार ले भी नहीं सका है और इसमें अनियमितता सामने आने लगी है। विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के एक सदस्य ने टैक्सी किराए का फर्जी बिल प्रस्तुत कर भुगतान प्राप्त किया। जाँच में गड़बड़ी आने के बाद राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने कार्यपरिषद सदस्य को पद से हटाने और उसके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
महर्षि पाणिनि संस्कृति एवं वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 की धारा 17 (2) (छ:) के अंतर्गत हर्ष जायसवाल को कार्यपरिषद में सदस्य नाम निर्देशित किया गया था। इसकी सूचना कुलपति द्वारा 31 दिसंबर-09 को संसूचित की गई। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल के संज्ञान में लाया गया था कि हर्ष जायसवाल कार्यपरिषद सदस्य द्वारा कार्यपरिषद की बैठक के लिए टैक्सी किराए का जाली बिल प्रस्तुत करते हुए भुगतान प्राप्त किया गया है। राजभवन सचिवालय द्वारा कुलपति से शिकायत के संबंध में प्रतिवेदन माँगा गया था। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि मैं पिछले दिनों ग्वालियर में था। इस मामले की जानकारी मिली है, लेकिन अधिकृत आदेश या दस्तावेज देखे नहीं हैं। मुख्यालय लौटने के बाद ही इस संबंध में कुछ बता पाना संभव होगा।
यह निकला जाँच में-कुलपति ने प्रकरण में विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव से जाँच करवाने के उपरांत अपने पत्र में प्रतिवेदित किया है कि हर्ष जायसवाल द्वारा विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम में भोपाल से उज्जैन आने एवं जाने हेतु प्रस्तुत वाहन किराए की रसीद में उल्लेखित वाहन क्रमांक एमपी-04/सीई-4866 टैक्सी के रूप में पंजीबद्ध नहीं होकर निजी वाहन के रूप में पंजीबद्ध है। यह वाहन उज्जैन आने वाले टोल प्लाजा से 17-18 अगस्त-10 को नहीं गुजरा। इस प्रकार हर्ष जायसवाल ने 18 अगस्त-10 को विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस कार्यक्रम के अवसर पर भोपाल से आने और वापस जाने के लिए वाहन किराए की प्रतिपूर्ति के रूप में विश्वविद्यालय से तीन हजार रुपए का दावा कपटपूर्वक प्रस्तुत कर अनियमित रूप से भुगतान प्राप्त करने का कदाचरण किया है। कदाचरण में लिप्त ऐसे व्यक्ति को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में रखना वांछनीय नहीं है।
उज्जैन निवासी और भोपाल से यात्रा- जाँच के दौरान प्राप्त जानकारी और अभिलेख से निष्कर्ष निकाला गया है कि हर्ष जायसवाल ने उज्जैन निवासी होने के बावजूद विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में भोपाल से उज्जैन तक और फिर वापस उज्जैन से भोपाल तक की यात्रा का जाली बिल प्रस्तुत करते हुए नियम विरुद्ध टैक्सी किराए की राशि तीन हजार रुपए प्राप्त की है। यात्रा में जिस वाहन के प्रयोग का उल्लेख किया गया है वह टैक्सी भी नहीं थी। हर्ष जायसवाल का कृत्य विश्वविद्यालय के हितों के विपरीत है। साथ ही यह कृत्य एक आपराधिक साजिश होकर दंडनीय अपराध है।
सदस्यता समाप्त करने का फैसला- कुलाधिपति महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन ने महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 की धारा 18 उपधारा (दो) के प्रावधानों के तहत हर्ष जायसवाल निवासी लक्ष्मी निवास मालीपुरा उज्जैन को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार इस मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। यह आदेश 4 नवंबर को जारी कर दिया गया है।
No comments:
Post a Comment