Monday, November 22, 2010
आज भी हनुमान से नाराज हैं लोग
सबसे बड़ी चीज होती है विश्वास। पर जब उस पर चोट पहुंचती है तो पीड़ा देनेवाले को बख्शा नहीं जाता है। फिर चाहे वह देवता या भगवान ही क्यों न हो। जी हाँ! दुर्गम पर्वतॊं पर बसा एक गांव ऐसा भी है जहां के लोग आज भी हनुमान जी से सख्त नाराज हैं। कारण कि हनुमान ने उन लोगों के आराध्य देव पर चोट पहुंचायी है और सरासर अहित किया है। यह आराध्य देव कोई और नहीं स्यंव साक्षात ‘पर्वत ही हैं, जिसका नाम है-द्रोणागिरी। सभी जानते हैं कि इस पर्वत में संजीवनी बूटी विद्धमान होने से हनुमान एक भाग तोड़कर ले उड़े थे। इसी पुराण-प्रसिद्ध द्रोणागिरि पर्वत की छांव में बसे हनुमान से नफरत करने वाले गांव का नाम है-द्रोणागिरि।
इस बारे में द्रोणागिरि गांव में एक दूसरी ही मान्यता प्रचलित है। बताते हैं कि जब हनुमान बूटी लेने के लिये इस गांव में पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि किस पर्वत पर संजीवनी बूटी हो सकती है। तब गांव में उन्हें एक वृद्ध महिला दिखाई दी। उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी? वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा किया। हनुमान उड़कर पर्वत पर गये पर बूटी कहां होगी यह पता न कर सके। वे फिर गांव में उतरे और वृद्धा से बूटीवाली जगह पूछने लगे। जब वृद्धा ने बूटीवाला पर्वत दिखाया तो हनुमान ने उस पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़ा और पर्वत को लेकर उड़ते बने। बताते हैं कि जिस वृद्धा ने हनुमान की मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
आज भी इस गांव के आराध्य देव पर्वत क विशेष पूजा पर लोग महिलाओं के हाथ का दिया नहीं खाते हैं और न ही महिलायें इस पूजा में मुखर होकर भाग लेती हैं। गांव की पत्रिता के लिए आज भी जब किसी महिला का बच्चा होता है तो प्रसव के दौरान उस महिला को गांव से अलग काफी दूर नदी के किनारे वाले स्थान पर डेरा बनाकर रखा जाता है। शिशु जनने के बाद ही वह गांव आ सकती है। इस दौरान उसका पति, सास अन्य परिवारजन उसकी मदद करते हैं। :
sabhar:hellohimalaya.blogspot.com
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