चम्बल में बदलेगी महिलाओं की किस्मत
November 26 2010 5:41 PM
मुरैना। कभी डकैतों के लिए कुख्यात रहे चम्बल अंचल में अब मशरूम के उत्पादन के जरिये महिलाओं की किस्मत बदलने वाली है। मुरैना के कृषि विज्ञान केन्द्र ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम उठाते हुए अब क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए उन्हें मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देना शुरू किया है। अब महिलाएं घर पर ही मशरुम का उत्पादन करेंगी और इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी होगी।
केन्द्र के अनुसार चंबल अंचल में मशरुम उत्पादन का अनुपात काफी कम है. इसलिए यहां ग्रामीण महिलाओं के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत प्रारंभिक तौर पर जिले के दो गांव सिरमौर का पुरा एवं निठैरा को चुना गया है। जिले की पोरसा तहसील के आरबीपुरा में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर कृषि वैज्ञानिक वाय पी सिंह ने महिलाओं को स्व-सहायता समूह गठित कर घर बैठे परिवार की आय बढ़ाने का तरीका सुझाया है।
यहां महिलाओं ने ‘आयस्टर मशरुम’ उत्पादन विधि को स्वयं प्रयोग करके देखा, इसके अलावा वे बटन मशरुम, मिल्की मशरुम और बेडीस्टा मशरूम के उत्पादन की तकनीक भी सीख रही हैं। उनका दावा है कि मशरुम की खेती अंचल की महिलाओं की किस्मत बदल देगी क्योंकि इसे कम लागत में अधिक उत्पादन किया जा सकता है। बीस से पच्चीस दिनों में मशरुम का उत्पादन शुरु हो जाता है और आवश्यकता से अधिक मशरुम का उत्पादन होने पर उसे सुखाकर भी बेचा जा सकता है।
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