Wednesday, February 16, 2011

एंट्रिक्स-देवास सौदे में पीएमओ बेदाग: मनमोहन


नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो और देवास मल्टीमीडिया के स्पेक्ट्रम आवंटन करार को लेकर अपने दफ्तर पर लगे सवालिया निशानों को प्रधानमंत्री ने साफ करने की कोशिश की। मनमोहन का कहना था कि प्रधानमंत्री कार्यालय में इस करार को बचाने की कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष कोशिश नहीं हुई।

प्रधानमंत्री ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि अंतरिक्ष आयोग की सिफारिश के बाद भी पीएमओ में पर्दे के पीछे से देवास मल्टीमीडिया के साथ सौदे को बचाने के लिए बातचीत चल रही थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएमओ ने करार खत्म करने को लेकर जुलाई 2010 में हुए अंतरिक्ष आयोग के फैसले को कमजोर करने की कोई भी कोशिश नहीं की।

देवास और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एंट्रिक्स कारपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए सौदे को रद करने में हो रही देरी को भी पीएम ने प्रक्रियात्मक विलंब करार दिया। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि व्यावहारिक तौर पर करार किसी भी तरह से अमल में नहीं था। प्रधानमंत्री ने इस मामले पर जल्द ही मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी मामलों की समिति [सीसीएस] में अंतिम फैसले का भरोसा दिया। हालांकि मनमोहन का कहना था कि इस मामले में आयोग के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को अंतरिक्ष विभाग का नोट नवंबर 2010 में मिला।

यहां सवाल उठते हैं कि सीधे पीएम के मातहत काम कर रहे अंतरिक्ष विभाग ने ही प्रधानमंत्री कार्यालय को नोट भेजने में चार महीने का वक्त कैसे लगाया? इस नोट को अगले तीन महीनों के भीतर सीसीएस के आगे पेश क्यों नहीं किया जा सका? प्रधानमंत्री ने इसके पीछे दूरसंचार, वित्त, कानून और रक्षा समेत अनेक मंत्रालय से जारी विचार-विमर्श को कारण बताया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने जनवरी 2005 में पूर्व इसरो अधिकारियों की कंपनी देवास मल्टीमीडिया के साथ जीसेट-6 और जीसेट-6 ए के दो ट्रांसपोंडरों पर 90 फीसदी स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए करार किया था। हालांकि इसरो ने जहां 2007 में इस करार की समीक्षा के आदेश दिए थे, वहीं जुलाई 2010 में अंतरिक्ष आयोग ने इसे रद करने की सिफारिश की थी। इस सौदे पर बीते दिनों नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने भी कुछ सवाल उठाए थे।

देवास ने दी कानूनी कार्रवाई की धमकी

नई दिल्ली। एस-बैंड स्पेक्ट्रम विवाद को लेकर सुर्खियों में आई देवास मल्टीमीडिया ने धमकी दी है कि वह अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कड़े कानूनी कदम उठाएगी। देवास ने कहा कि इसरो की व्यवसायिक शाखा एंट्रिक्स के साथ उसका कानूनी बाध्यता वाला करार है। इसलिए सरकार से अपेक्षा है कि वह करार के सभी दायित्वों को पूरा करेगी।

बेंगलूर स्थित कंपनी ने यहां जारी एक बयान में कहा, हम बुधवार को सरकार द्वारा करार समाप्त करने के बारे में बयान जारी करने से बहुत चिंतित हैं। मामला अभच् च्च्च अधिकार समिति और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] के पास समीक्षा के लिए पड़ा है और अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है। कंपनी ने उचित जांच प्रक्रिया व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बगैर करार खत्म करने को सरकार का परेशान करने वाला और एकतरफा फैसला करार दिया है। कंपनी ने कहा है, यदि सरकार हमारे कानूनी अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह न रखे तो हम करार की समीक्षा के लिए जरूरत के मुताबिक सहयोग व सहायता करने को तैयार हैं। लेकिन, हमने इस बारे में सरकार से अभी तक कुछ नहीं सुना है।

No comments:

Post a Comment