सिमी के पांचों गुर्गे फिर पहुंचे जेल
- खाचरौद जेलर निलंबित, डीजी जेल के बाद प्रमुख सचिव जेल भी बदले गए
रात 1.30 बजे पुलिस पांचों को लेकर पहुंची खाचरौद उपजेल
उज्जैन, ०५ फरवरी (डॉ. अरुण जैन)। खाचरौद उपजेल से गणतंत्र दिवस पर रिहा किए गए सिमी के पांचों गुर्गों को शासन के आदेश पर शुक्रवार को फिर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस घटना से सबक लेते हुए सरकार ने आनन-फानन में जेल से माफी देने के नियमों में संशोधन कर दिया है। मामले मेंं प्रमुख सचिव जेल सुदेश कुमार को हटाते हुए खाचरौद उपजेल के जेलर संजीव गेंदले को निलंबित कर दिया है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव अशोक दास को जेल विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। गुरुवार को इसी मामले में आईपीएस अफसर वीके पवार को डीजी जेल पद से हटाया गया था। शुक्रवार को राज्य सरकार और प्रशासन में मामले को लेकर हलचल मची रही। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया मामले की सरकार के स्तर पर खोजबीन हुई कि आखिर राजद्रोह के मामले में रिहाई कैसे हो गई। सिमी के गुर्गों को जिन मामलों में सजा हुई थी, उनमें सजा माफी नहीं दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं था। इसी कमी का फायदा उठाकर देशद्रोहियों को भी अच्छे आचरण वाले कैदियों की तरह सजा माफी दे दी गई।
सरकार ने शुक्रवार को सजा में छूट के नियमों में यह प्रावधान जोड़ दिया कि राजद्रोह के मामले में अब सजा माफी नहीं दी जा सकेगी। इसे भूतलक्षी (पुरानी तारीख) प्रभाव से अमल में लाया जाएगा। छोड़े गए कैदियों को फिर से बाकी की सजा पूरी कराई जाएगी। उज्जैन आईजी उपेंद्र जैन ने बताया शासन के आदेशानुसार पांचों को फिर से उन्हेल से गिरफ्तार कर खाचरौद उपजेल भेज दिया गया है।
ये दी सफाई- डीजी जेल पद से हटाए गए वीके पवार का कहना है कि जिन बंदियों को छोड़ा जाना प्रस्तावित होता है, जेल से उसकी सूची विभाग में आती है। जो विधि विभाग में भेज दी जाती है, अनुमति के बाद जेल विभाग रिहाई का आदेश जारी करता है। कैदियों की सूची में यह दर्ज नहीं होता कि वे सिमी या अन्य किसी संगठन के सदस्य हैं, केवल सजा की धाराओं का जिक्र होता है। अभी तक राजद्रोह के मामलों में रिहाई का प्रावधान ही नहीं था। इस तरह विद्यमान नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। उपजेलर को इन कैदियों के सिमी कार्यकर्ता होने की जानकारी जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस को देना चाहिए थी। ऐसा किया जाता तो यह रिहाई नहीं हो पाती।
क्या था मामला- 31 मार्च 08 को उन्हेल थाने के तात्कालीन प्रभारी यूपी सिंह ने उन्हेल के जादिल, अयाज, अकबर, मेहरुद्दीन व इरशाद को घर के समीप जंगल में लोगों को देश के खिलाफ भडक़ाऊ भाषण देने व बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देते हुए पकड़ा था। 12 जनवरी 2011 को अपर सत्र न्यायाधीश एसके ताराम ने पांचों को आरोप सिद्ध होने पर पांच वर्ष का कारावास व 5500 रुपए का अर्थदंड दिया था लेकिन 14 दिन बाद ही 26 जनवरी को रिहा कर दिया गया था।
Date: 05-02-2011
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