Tuesday, February 22, 2011
न्यूज देखते वक्त मर्दों का ध्यान न्यूज में कम न्यूजरीडर में ज्यादा होता है।
न्यूज देखते वक्त मर्दों का ध्यान न्यूज में कम न्यूजरीडर में ज्यादा होता है। ऐसा पाया गया है इंडियाना यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में।
न्यूज चैनलों की हमेशा यह कोशिश रहती है कि टीवी पर सुन्दर और आकर्षक न्यूजरीडर हों ताकि उनकी टीआरपी बढ़ सके। इससे टीआरपी तो बढ़ जाती है लेकिन लोगों तक खबरें ठीक तरह से पहुँच ही नहीं पाती, खास तौर से आदमियों तक।
ब्लूमिंगटन की इंडियाना यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पर हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्यान में 390 पुरुष और महिलाओं को दो गुटों में बाँटा गया। इन दोनों ही गुटों को समाचार दिखाए गए। समाचार भी वही थे और समाचार पढ़ने वाली महिला भी। फर्क सिर्फ इतना था कि एक गुट को जो समाचार दिखाए गए उसमें न्यूजरीडर ने ढीले ढाले सादे कपड़े पहने और मेकअप भी नहीं किया। जबकि दूसरे गुट को दिखाए गए समाचारों में उसने अपनी फिगर पर फबते हुए टाइट कपड़े पहने- सुन्दर नीली जैकेट, काली स्कर्ट, होंठों पर लाल लिपस्टिक और गले में पतली चेन।
बाद में सभी से यह पूछा गया कि उन्होंने समाचारों में क्या सुना। हालाँकि दोनों ही गुटों की महिलाओं के जवाब एक जैसे ही थे, पुरुषों के जवाबों में काफी अंतर दिखा। पहले गुट के आदमियों ने समाचारों के बारे में काफी कुछ बताया, लेकिन दूसरे गुट वालों का सारा ध्यान न्यूजरीडर के कपड़ों और चहरे पर ही रहा। समाचारों के बारे में वो कुछ खास नहीं बता पाए। शायद इसीलिए सरकारी न्यूज चैनलों पर केवल न्यूज पर ही ध्यान दिया जाता है, ग्लैमर पर नहीं।
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