Wednesday, February 9, 2011

एक भावी महिला डाक्टर की टी शर्ट पर -आई लव यू न्यूयार्क-लिखा देखकर डेंटल कालेज आफ इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल कृष्ण गाबा ने दो शिक्षकों की मौजूदगी में संस


जाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के डेंटल कालेज आफ इंस्टीट्यूट में पिछले दिनों अजीब और बेहद शर्मनाक घटना हुई। अजीब इस मायने में कि आधुनिकतम शहर में घटी जहां फैशन युवा वर्ग का पैशन हो चला है और इसके लिए वह किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकता। पूरे समाज से टकराने का मादा रखने वाला यह युवा वर्ग क्या संदेश देना चाहता है? यह कि वे जो भी कर रहे हैं, जो पहन रहे हैं बिल्कुल ठीक है। फैशन के नाम पर क्या उन्हें कुछ भी पहनने का हक है? बिल्कुल है, वे कुछ भी पहन सकते हैं और चाहे तो लोकलाज के भय से नाममात्र के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। उन्हें समाज की मर्यादा का भय नहीं होगा लेकिन कुछ लोग संस्कृति और गरिमा का अहसास कराने वाले भी होंगे।
घटना को शर्मनाक कहना ही पर्याप्त था पर बेहद विशेषण इसलिए क्योंकि इससे गुरु-शिष्य की परपंरा की मूल भावना आहत हुई है। जिस देश में एकलव्य जैसे शिष्य ने दक्षिणा में अंगूठा देने की अनूठी परंपरा कायम की हो वहां एक गुरू के समझाने भर से इतना गुस्सा, इतना आक्रोश। जैसे पहले से गुस्से से भरे पड़े हों और घटना से वह फूट पड़ा हो।
एक भावी महिला डाक्टर की टी शर्ट पर -आई लव यू न्यूयार्क-लिखा देखकर डेंटल कालेज आफ इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल कृष्ण गाबा ने दो शिक्षकों की मौजूदगी में संस्थान और डाक्टरी के पेशे की गरिमा को देखते हुए इससे परहेज करने या ऐसा फिर न पहन कर आए की ताकीद की थी।
उन्हें नहीं पता था कि उनकी यह समझाइश इतनी भारी पड़ेगी कि उनके खिलाफ विद्रोह हो जाएगा। उन्हें हटाने के लिए छात्र-छात्राएं आमरण अनशन करने पर उतारू हो जाएंगे और बिना उनकी रुखसती के किसी बात पर राजी नहीं होंगे। अगर पता होता तब भी गाबा क्या यही करते? क्या कह सकते हैं लेकिन एक बात पक्की है वे संस्थान में अनुशासन पैदा करना चाहते थे जिसके आदी इस संस्थान के भावी डाक्टर होने को तैयार नहीं थे।
टी शर्ट पर अंकित -आई लव यू न्यूयार्क- कोई अश्लील या आपत्तिजनक शब्द नहीं है। सच है किसी शहर या देश से प्यार दर्शाना गलत नहीं है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है फिर छात्रा डाक्टर को आगे से ऐसी टी शर्ट पहनने पर आपत्ति क्यों जताई गई। शायद इसके पीछे मूल भावना अनुशासन की रही होगी क्योंकि यह वह संस्थान है जहां से निकलकर ये युवा समाज में लोगों के आदर्श बनेंगे उन्हें खुद को यह ध्यान रखना चाहिए था न कि कोई उन्हें बताए।
गाबा को हटाने और सबक सिखाने के लिए जिस तरह से आंदोलन चलाया गया उससे विवि प्रबंधन भी मुश्किल में पड़ गया। मामले की जांच के आदेश हुए और गाबा को छुट्टी पर भेज दिया गया। जांच में गाबा को क्लीन चिट मिली है यानी उन्होंने गलत मंशा से कुछ भी नहीं किया। उन्होंने संस्थान के प्रिंसिपल पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के साथ ही आंदोलन भी खत्म हो गया है।
इस घटना के बाद डेंटल कालेज आफ इंस्टीट्यूट का कोई प्रिंसिपल कम से कम ड्रेस के बारे में तो कुछ नहीं कहेगा क्योंकि अगर कुर्सी पर बने रहना है तो इतना समझौता तो करना होगा। कुर्सी की चिंता होती तो गाबा भी घटना पर सामूहिक खेद जता सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनकी नजर में अनुशासन कुर्सी से बड़ा था।
महेंद्र सिंह राठौर की रिपोर्ट

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