Monday, February 7, 2011

देशद्रोहियों को छोड़ने की कीमत 3 करोड़



भगवान श्री राम की तपोभूमि और शेरशाह शूरी की कर्मभूमि ब्याघ्रसर यानी बक्सर (बिहार) के पास गंगा मैया की गोद में बसे गांव मझरिया की गलियों से निकलकर रोजगार की तलाश में जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आया था तब मैंने सोचा भी नहीं था कि पत्रकारिता मेरी रणभूमि बनेगी। वर्ष 2002 में भोपाल में अपने दोनों छोटे भाईयों विनय और स्व.ब्रजेश (पूर्व रणजी खिलाड़ी) के भविष्य की खातिर यहां रूकना पड़ा। समय काटने की गरज से अपने एक व्यवसायी जानकार की सिफारिश पर मैंने दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल से पत्रकारिता जगत में प्रवेश किया। उसके बाद अन्य कई बड़े अखबारों में काम करने के आफर आए लेकिन स्वाभिमानी प्रवृति का होने के कारण मैं कहीं नहीं जा सका। वर्ष 2005 में जब सांध्य अग्रिबाण भोपाल से शुरू हुआ तो मैं उससे जुड़ गया तब से आज भी वहीं जमा हुआ हूं। केन्द्र की यूपीए सरकार पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली मप्र की भाजपा सरकार पर पांच देशद्रोहियों को तीन करोड़ रूपए लेकर छोडऩे का आरोप है और इसमें प्रमुख भूमिका निभाई है भाजपा के प्रदेश मंत्री तपन भौमिक ने। मध्यप्रदेश में गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस पर व्यवहार के आधार पर कैदियों की सजा में छूट देने की परंपरा है।

इसी परंपरा के तहत 22 जनवरी को जेल विभाग द्वारा एक आदेश जारी कर अपनी आधी सजा काट चुके कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। इसी आदेश के तहत गणतंत्र दिवस पर उज्जैन जिले की खाचरौद उपजेल में बंद सिमी के गुर्गो आदिल, अयाज, अकबर, मेहरूद्दीन और इशान को राजद्रोह में मिली पांच साल की कैद में से 2 साल 9 माह 25 दिन पूरे होने पर 26 जनवरी को रिहा कर दिया गया। इन सिमी एजेंटों को तीन साल तक प्रकरण चलने के बाद 14 दिन पहले ही कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी।

10 दिसंबर 2010 को शासन ने आईपीसी चुंनिदा धाराओं को माफी के दायरे में ले लिया था। जिसमें राजद्रोह, राष्ट्रद्रोह, दुष्कर्म जैसे मामले शामिल थे। इसी के चलते सिमी के बंदियों को धारा 124 राजद्रोह के तहत सजा में छूट दी गयी। जेल विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में राजद्रोह, डकैती और अन्य संगीन मामलों के 1665 बंदी छोडे गए है। इसके पीछे आईपीसी की धाराओं को दिसम्बर माह में माफी के दायरे को लाने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
उधर सिमी के पांच कार्यकर्ताओं को गणतंत्र दिवस के अवसर पर रिहाई का नजायज लाभ देने का मामला लगातार तूल पकडता जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने यहां कहा कि इस मामले में जेल मंत्री जगदीश देवड़ा के अलावा कुछ अफसरों और भाजपा के प्रदेश मंत्री तपन भौमिक की भूमिका संदिग्ध रही है। जिसमें उज्जैन जिले में संघ के प्रचारक रहे तपन भौमिक ने इस लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कांग्रेस प्रवक्ता मिश्रा ने कहा कि देशद्रोह के आरोप में सजा भुगत रहे सिमी के पांचों कार्यकर्ताओं को गणतंत्र दिवस का लाभ देकर रिहा करने में तीन करोड़ का लेन देन हुआ है। इसमें भाजपा के प्रदेश मंत्री तपन भौमिक, प्रमुख सचिव जेल सुदेश कुमार और महानिदेशक जेल वीके पवार की भूमिका की जांच की जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम से इस पूरे माले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है।

हालांकि राज्य सरकार ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए जहां जेल महानिदेशक व्हीके पंवार को महानिदेशक के पद से हटा दिया था, वहीं जेल विभाग के प्रमुख सचिव सुदेश कुमार की भी छुट्टी कर दी गई है। शासन ने एक अन्य आदेश के तहत खाचरौद जेल के प्रभारी अधिकारी को भी निलंबित कर दिया है।
उधर उज्जैन जिले की खाचरौद उपजेल से गणतंत्र दिवस पर सिमी की गुर्गो की रिहाई से सबक लेते हुए सरकार ने आनन-फानन में नियमों में संशोधन कर दिया है। अब सरकार इन पांचों गुर्गो को गिरफ्तार कर फिर से जेल भेज दिया गया। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सिमी के गुर्गो की फिर से गिरफ्तारी करने के लिए जेल अधिनियमों में संशोधन कर दिया है। इसके तहत विधि विरुद्ध क्रियाकलापों में लिप्त अपराधियों को सजा में छूट देने का प्रावधान समाप्त कर दिया गया हैं। वैसे कैदियों को सजा में छूट देने और उन्हें जेल से छोडने की सहमति विधि एवं विधायी विभाग से लेने के बाद जेल मंत्री के अनुमोदन के बाद ही आदेश जारी किए जाते हैं, लेकिन जेल विभाग द्वारा आनन-फानन में जारी किए गए उक्त आदेश में विधि विरुद्घ क्रियाकलापों में लिप्त अपराधियों को छोडने के नियम का उल्लेख नहीं करना महंगा पड गया है।

अब राजद्रोह, डकैती, राष्ट्रद्रोह, दुष्कर्म जैसे संगीन मामलों में बंदियों को मिलने वाली माफी नहीं मिलेगी। आईपीसी की 35 धाराओं को माफी के दायरे से बाहर रखने पर सहमति बनायी जा रही है। इनमें राजद्रोह, राष्ट्रद्रोह की आईपीसी की धारा 121 से 141, 376, 377 डकैती शामिल है। सजा माफी के नियमों की समीक्षा के लिए एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन कर किया गया है जिसमें विधि विभाग, जेल विभाग और पुलिस अमले के आला अधिकारी शामिल होंगे।

शासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सिमी के गुर्गो की फिर से गिरफ्तारी करने के लिए जेल अधिनियमों में संशोधन कर दिया है। इसके तहत विधि विरुद्घ क्रियाकलापों में लिप्त अपराधियों को सजा में छूट देने का प्रावधान समाप्त कर दिया गया हैं। वैसे कैदियों को सजा में छूट देने और उन्हें जेल से छोडने की सहमति विधि एवं विधायी विभाग से लेने के बाद जेल मंत्री के अनुमोदन के बाद ही आदेश जारी किए जाते हैं, लेकिन जेल विभाग द्वारा आनन-फानन में जारी किए गए उक्त आदेश में विधि विरुद्ध क्रियाकलापों में लिप्त अपराधियों को छोडने के नियम का उल्लेख नहीं करना महंगा पड गया है। उन पर देशद्रोह सहित कई धाराएं लगी थी। इतने गंभीर अपराधों के आरोपियों को छोडऩे से सरकार बहुत परेशान थी। भाजपा से जुडे अनुसांगिक संगठनों का इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार पर बहुत दवाब था।

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