डिफेंस कॉलोनी
साउथ दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी थाने की पुलिस ने काम दिलाने के बहाने लड़कियों की खरीद फरोख्त करने और शोषण करने के मामले में दो लड़कियों को मुक्त करा लिया, लेकिन उनकी कहानी से साफ है कि कई और लड़कियां इस तरह के जाल में फंस चुकी हैं। गांव से लाकर उन्हें कई जगह बेचा जाता और फिर घरों में काम करने वाली मेड के तौर पर लगा दिया जाता। ये मेड घर में कुछ दिन काम करके किसी बहाने भाग जातीं और कस्टमर का पैसा हड़प लिया जाता।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में सोना ने बताया कि झारखंड में उनके पड़ोस के गांव में रहने वाला जयराम नाम का शख्स उसे दिल्ली लाया था। जयराम 20-25 दिन पहले उसकी बड़ी बहन मुनिया को भी काम दिलाने के बहाने दिल्ली लाया था और तब से मुनिया की अपने परिजनों से फोन पर बात तक नहीं हो पाई थी। सोना ने पुलिस को बताया कि जयराम उसके घर गया और उसके परिजनों से कहा कि मुनिया की तबीयत बहुत खराब है और कोई उसकी देखभाल करने वाला नहीं है, इसलिए वह मुनिया की देखभाल करने के लिए सोना को दिल्ली ले जाना चाहता है। परिजन इसके लिए राजी हो गए और उन्होंने सोना को भी जयराम के साथ दिल्ली भेज दिया। चूंकि सोना विकलांग थी, इसलिए जयराम को केवल 10 हजार रुपये मिले, वरना अन्य लड़कियों के बदले उसे 15 से 20 हजार रुपये मिलते थे।
सोना को उसकी बहन मुनिया के पास ले जाने के बहाने से राजकुमार, सलीम और पिंकू उसे गुड़गांव के नत्थूपुरा गांव में स्थित एक कमरे पर ले गए, लेकिन वहां कोई नहीं था। वहां पर तीनों आरोपियों ने सोना को जबरन शराब पिलाने और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन किसी तरह सोना ने खुद को बचा लिया। आरोपी दो तीनों दिनों तक कोशिश करते रहे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इस बीच वे कोई अच्छा खरीदार तलाशते रहे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। तब तक सोना भी उनके इरादे भांप चुकी थी। 2 फरवरी की शाम जब ये लोग सोना को कार में लेकर डिफेंस कॉलोनी इलाके से गुजर रहे थे, उसी दौरान सोना ने पानी पीने के बहाने कार रुकवाई और फिर कार से बाहर निकलकर शोर मचा दिया। आरोपियों ने उसे खींचकर ले जाने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक लोग इकट्ठा हो गए और मजबूरन उन्हें वहां से भागना पड़ा।
पुलिस के मुताबिक जयराम से लड़कियां खरीदने के बाद राजकुमार और उसके साथी पहले इन लड़कियों का शारीरिक शोषण करते थे और फिर उन्हें 25 से 35 हजार रुपये में प्लेसमेंट एजेंसियों को बेच देते थे। प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक कस्टमर से संपर्क करके उनसे अडवांस के रूप में मोटा अमाउंट ले लेते थे। लड़कियों को वहां से घरों पर मेड के तौर पर काम पर भेज दिया जाता। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ये लोग लड़कियों को किसी बहाने से वापस बुला लेते थे और इस तरह कस्टमर के पैसे हड़प जाते थे। पुलिस को पता चला है कि इस गिरोह के लोग अब तक 60-70 लड़कियों की खरीद फरोख्त कर चुके हैं। पुलिस इस बारे में विस्तार से छानबीन कर रही है।
इस स्टोरी पर अपनी राय दें। राय देने के लिए यहां क्लिक करें।
No comments:
Post a Comment