Monday, February 7, 2011

माओवाद की राजधानी ‘मनातू’ जहाँ सांसद भी जाने से डरते हैं


जनोक्ति की टीम झारखण्ड में माओवाद की जमीन तलाशने के लिए राजधानी रांची से होते हुए पलामू ( डाल्टेनगंज ) पहुंची | पलामू की जमीन पर कदम रखने से पहले जो सबसे बड़ा शब्द था ‘ माओवाद ‘ जिसके गहरे निहितार्थ में हमें उतरना था | रांची छोड़ने से पहले हमारे मन में आशंकाओं के बादल उमड़ रहे थे लेकिन सच्चाई को जानने की जिद भी थी | रांची से पलामू पहुँचने के क्रम में कई ऐसे दृश्य नजरों से होकर गुजरे जो कल्पना से परे थे | एक -एक पुल की सुरक्षा में अर्ध-सैनिक बालों केदो दर्जन जवान गश्त लगा रहे थे | सडकों पर घुमती बख्तरबंद गाडियां इलाके में दहशत की कहानी को बयान कर रही थी | किसी प्रकार हम पलामू के अत्यंत पिछड़े और नक्सल प्रभावित प्रखंड मनातू पहुंचे | यहाँ जिला मुख्यालय से क्षेत्र के प्रखंडों को जोड़ने का एक मात्र माध्यम सालों पहले बनी जर्जर सड़कें जिसपर महज एक ही बस आवा-गमन करती है | शिक्षा -स्वास्थ्य – सड़क -बिजली -पानी जैसी मुलभुत सुविधाओं से विहीन मनातू के लोगों से मिलकर हमने जो कुछ समझा उसको लेकर शासन तंत्र और जनप्रतिनिधियों के ऊपर अनेक सवाल उठ रहे थे | इन्हीं सवालों को जानने के लिए हम पहुंचे क्षेत्र के सांसद ‘इन्दर सिंह नामधारी ‘ के पास जो पूर्व में झारखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं | सम्बंधित मुद्दे पर झारखण्ड के सबसे शिक्षित और सजग कहे जाने वाले जनप्रतिनिधि इन्दर सिंह नामधारी से हमारी बातचीत पर आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत है :

भौगोलिक रूप से देश के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्र में से एक चतरा के सांसद इन्दर सिंह नामधारी ने बातचीत के दौरान मनातू को माओवादियों के अभ्यारण्य की संज्ञा देते हुए हमारे सकुशल लौट आने पर आश्चर्य का भाव प्रकट किया | उन्होंने क्षेत्र में ‘भय’ को रेखांकित करते हुए बताया कि मनातू ब्लोक का प्रखंड विकास पदाधिकारी वहां ना बैठ कर पड़ोस के ‘ तरहस्सी ‘ ब्लोक में बैठते हैं | उनसे जब हमने इलाके में नदारद मूलभूत सुविधाओं की बात छेड़ते हुए सड़क और बिजली की बदहाली की बात सामने रखी तो उन्होंने कहा कि माओवादियों के भय से कोई भी ठेकेदार टेंडर भरने को तैयार नहीं है | मोटी रकम नक्सलियों को देने के बाद भी जान-माल की सलामती का सवाल बना रहता है | इसका एक ही उपाय है कि सुरक्षा बालों की कड़ी निगरानी में सड़क निर्माण का काम हो और यह कार्य केवल आर्मी के द्वारा ही संभव है | सड़क निर्माण में आर्मी की मदद की फ़रियाद लेकर वो केन्द्रीय गृहमंत्री चिदंबरम के पास भी पहुंचे थे | लेकिन चिदंबरम ने इस मामले में असमर्थता जाहिर की |

सांसद महोदय के अनुसार बिजली के लिए लोडशेडिंग की सबसे बड़ी समस्या है | विकास कार्यों में आने वाली बाधाओं को गिनाते हुए उन्होंने सांसदों और विधायकों की लड़ाई को भी बहुत हद तक जिम्मेदार बताया | जनप्रतिनिधियों में आपसी ताल मेल के अभाव में नौकरशाहों की मनमानी की शिकार क्षेत्र की जनता हो रही है | विकास मद में होने वाले प्रत्येक कार्य यहाँ तक की नरेगा में भी ४० % कमीशनखोरी यहाँ आम बात है | डाल्टेनगंज के वर्तमान डी डी सी के ऊपर कमीशनखोरी और आर्थिक अनियमितता के सिलसिले में रंगे हाथों पकडे जाने पर भी राज्य सरकार की कृपा दृष्टि उन पर बनी हुई है | डी डी सी को बर्खास्त किये जाने की मांग को लेकर सांसद महोदय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को एक पत्र भी लिखा लेकिन अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है |

साथ-साथ पारा शिक्षकों और एनजीओ की मिलीभगत से मध्याह्न भोजन में होने वाली धांधलियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी तौर पर दो फीसदी भी नहीं हो पा रहा है | माओवादियों के नाम पर सरकारी अफसरों और कर्मचारियों इलाके से गायब रहते हैं | स्थानीय जनप्रतिनिधि का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है | विधायक महाशय को भी क्षेत्र की जनता शोषक के रूप में ही देखती है | शैक्षिक रूप से पिछड़े लोग अपने अधिकारों से अनजान और आवाज उठाने में असमर्थ हैं | बार-बार चुनाव में ऐसे लोगों को जीता कर पांच सालों तक उनकी मेहरबानियों पर गुजर-बसर करते हैं |

मनातू में स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों की गैर मौजूदगी और एम्बुलेंस सेवा के ना होने के सवाल पर उन्होंने कन्नी काटते हुए कहा कि ऐसे इलाके में एम्बुलेंस सेवा का उपयोग कम दुरूपयोग ज्यादा होगा | हालाँकि ऐसा होता भी इलाके के स्वस्थ्य केंद्र में सोलर सेवा का उपयोग मरीजो के इलाज में हो ना हो कर्मचारियों के मोबाइल चार्ज में जरुर होता है |

सांसद महोदय ने दार्शनिक अंदाज में क्षेत्र की समस्याओं से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ‘ इंसान परिस्थितियों का गुलाम होता है ‘ |

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