Sunday, February 13, 2011

जरूरत से ज्यादा चर्बी हानिकारक होती है।

बढ़ती चर्बी से बचें
जैसे खांसी और कब्ज को रोगों का घर कहा जाता है, वैसे ही मोटापे को भी कई बीमारियों का जनक माना जाता है। शरीर पर बढ़ती अनावश्यक चर्बी अपने आप में कई रोगों को बुलावा देती है। दिल के रोग, ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और कैंसर आदि कई तरह की बीमारियों का संबंध मोटापे से होता है।

जानलेवा है चर्बी
चर्बी शरीर के लिए आवश्यक होती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा चर्बी हानिकारक होती है। शरीर में अतिरिक्त चर्बी जम जाने पर यह प्रकट होता है। मोटापा शरीर के कुछ अंगों पेट, जांघ, हाथ, नितम्ब, कमर आदि को अनावश्यक रूप से फुलाते हुए अपने आस-पास के अंगों को दबाता चला जाता है, इस तरह यह पूरे शरीर को अपने कब्जे में ले लेता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव दिल, दिल की धमनियों आदि पर होता है। मोटापे में दिल के आसपास धमनियों में चर्बी जमा हो जाती है और दिल की परेशानियां बढ़ जाती हैं।

चरक संहिता के अनुसार अधिक मोटे व्यक्ति के शरीर में चर्बी ही बढ़ती है, अन्य धातुएं उतनी नहीं बढ़तीं। मोटे व्यक्ति अल्पायु तो होते हैं, पुरूषत्वहीन, वीर्यविहीन, पसीने से परेशान, भूख-प्यास से व्याकुल तथा अनेक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। मोटा व्यक्ति भूख शांत करने के लिए नहीं खाता, बल्कि स्वादेन्द्रियों को शांत करने के लिए नाना प्रकार के भोजन करता है। अतिरिक्त भोजन मिलने पर, आरामतलब होने पर तथा परिश्रम न करने पर हमारा शरीर अनावश्यक चर्बी एकत्र करने लग जाता है, यही चर्बी मोटापे का रूप होती है।


मोटापा आनुवांशिक भी हो सकता है और जीवनशैली की अनियमितता भी। चाहे जब भोजन करना, भोजन में वसा, मिठाइयां, तेल, घी, दूध, अंडे, शराब, मांस, धूम्रपान अन्य तरह का नशा आदि की अति कर देना। शरीर की कुछ ग्रंथियां भी मोटापे का कारण होती हैं, मौलिक चयापचय की क्रिया और शरीरिक क्रियाशीलता के कारण थायरॉइड ग्रंथि और पीटयूटरी ग्रंथि के स्त्रावों की कमी की वजह से मोटापा पनपता है। वंश परंपरा भी मोटापे का कारण है, यहां इसे रोग नहीं कह सकते।


भोजन में अति, भोजन पpात दिन में सोना और परिश्रम कम करना, गर्भवती çस्त्रयों को गर्भवती के नाम पर अनावश्यक खिलाते रहना। प्रसव बाद भी मेवों का अति सेवन कराना और शरीरिक श्रम कम करना जैसी बातें महिलाओं में मोटापे को बढ़ावा देती है। इनसे बचना चाहिए।


बच्चों के मोटापे का कारण यही है कि माता-पिता लाड़-प्यार में बच्चे को वसा, प्रोटीन से भरपूर पदार्थ अनावश्यक खिलाते रहते हैं। शरीर में मेद वृद्धि बचपन से ही आ जाती है। कई बार दुबले माता-पिता के बच्चे इसी कारण मोटापे की गिरफ्त में आ जाते हैं।


मोटापे का सबसे प्रभावी उपाय है अपनी जीवन शैली में बदलाव। उन सब चीजों से बचे जो शरीर में फैट को बढ़ावा देती हो। तैलीय और वसायुक्त भोजन से परहेज करें।
जीवन शैली में व्यायाम और सैर को शामिल करके मोटापे को कम किया जा सकता है और छरहरापन भी बरकरार रखा जा सकता है।

No comments:

Post a Comment